Author: Turaaz

"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़
वैश्विक कोरोना महामारी: “International Corona Pandemic” ( Hindi Poetry)

वैश्विक कोरोना महामारी: “International Corona Pandemic” ( Hindi Poetry)

अंतराष्ट्रीय कोरोना महामारी “International Corona Pandemic” (Hindi Poetry) बहुत थे जिनको मैं, अब खोजता हूं उन जैसा कभी कोई दिखता भी है पर वह कभी, कहीं नहीं दिखते जब भी ...
अद्भुत: “Amazing” ( Hindi Poetry)

अद्भुत: “Amazing” ( Hindi Poetry)

अद्भुत “Amazing” (Hindi Poetry) इस नीले आसमान के नीचे इस धरती का एक कण हूं मैं पर कितना अद्भुत हूं मैं चारों तरफ फैली हुई इस बहुरंगी दुनियां का एक ...
ठंड : “Cold” (Hindi Poetry)

ठंड : “Cold” (Hindi Poetry)

ठंड “Cold” (Hindi Poetry)   वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो अदरक-चाय मिलती रहे, स्नैक्स-पकोड़ियां सजी रहें मुंह चलते रहे, रजाई यूं ही उड़ी रहे वीर तुम अड़े ...
आलोचक : “Critics” ( Hindi Poetry)

आलोचक : “Critics” ( Hindi Poetry)

आलोचक “Critics” (Hindi Poetry)   आलोचक अगर सच्चा आलोचक हो तो जीवन बदल देता है कहीं जीने की समझ तो कहीं रिश्तों की समझ कहीं खुद को बदलने की समझ ...