शब्द और वाणी “Word and Voice” (Hindi Poetry)

शब्द और वाणी “Word and Voice” (Hindi Poetry)

शब्द और वाणी

“Word and Voice”

(Hindi Poetry)

उत्तम अभिव्यक्ति अपेक्षित है
साक्षरता का साक्ष्य यही
मौन प्रखर है, माध्यम भी
अंतर्दृष्टि की अभिव्यक्ति यही

कुछ भी शब्दों के प्रत्युत्तर से
बेहतर है निरुत्तर रहना
शब्दों को मुख तक लाने में
कुछ तो मेहनत करना

तोल सको वजन अगर
जौहरी सा बनना होगा
अपने हर शब्द को, देने से पहले
कसौटी में अच्छे से कसना होगा

बहुत वजन है शब्दों में
हर कोई सह नहीं पाता है
शब्द हों अगर राजा के तो
कानून भी बन जाता है

गर शब्द हो ब्राह्मण के
तो परमारथ मिल जाता है
कुटिलता से भरे शब्द हों गर
जीवन नरक सा बन जाता है।

ह्रदय में कुसुम खिलें शब्दों से
ऐसी अभिव्यक्ति अपेक्षित है
दुःख ही झरें बातों से गर
तो उन बातों की क्या सार्थकता है

कौन किसको देता भी क्या है
सब शब्दों का व्यवहार यहां
दो दिन का सपना सा है जीवन
फिर शब्दों की ही याद यहां

मुंह से कहे शब्द हों या
कागज पर उतरे हों
दिल, दिमाग, मन तक घर कर जाते हैं
साकार समन्वय गर हो शब्दों में
जीवन की राह बदल जाते हैं

जग, जीवन का व्यवहार यही
शिक्षा, संस्कार, देश, कुल, गोत्र,
इन सबकी पहचान यही
असली चेहरा हैं शब्द तुम्हारे
तुम इनसे ही पहचाने जाते हो

शब्दों में ऊर्जा होती है
बड़ी ही प्रमाणक और प्रखर होती है
मित्र और शत्रु सब
शब्दों से ही तो बनते हैं
जीवन मृत्यु का खेल यहां
सब शब्दों से ही खेला जाता है

समझ सको गर जीवन को
तो शब्दों पर अपने गौर करो
देखो ! नन्हें से बच्चे को
बिन शब्दों के वह कितना
भोला-भाला, कितना प्यारा है

चुप रह सको तो उत्तम है
वाणी तो बस प्रभु सिमरन को है
क्यों व्यर्थ में खोते हो इसको
पूछो! मरने वाले को,
जिसकी अब आवाज नहीं
यह कितनी दुर्लभ, अमूल्य निधि है
तुराज़……

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़