हर-घर तिरंगा “Tricolour at every Home” (Hindi Poetry)

हर-घर तिरंगा “Tricolour at every Home” (Hindi Poetry)

हर-घर तिरंगा

“TriColour at every Home”

(Hindi Poetry)

 

हर घर तिरंगा
घर घर तिरंगा
कर दो वतन को रंग-बिरंगा

आओ मिलकर
आजादी का जश्न मनाएं
भारत माता की गाथा गाएं
करें नमन मां के अमर वीरों को
सब मिलकर उनकी
अर्चना और पुष्प चढ़ाएं
आज हर-घर, घर-घर
तिरंगा लहराएं

अमृत महोत्सव की बेला है
सब कुछ चमक जाने दो
दमक जाने दो, बहक जाने दो
उत्सव में पूरी धरती को महक जाने दो
अमर वीरों की सब गाथाओं को
वाणी में आ जाने दो
हर घर तिरंगा,
घर घर तिरंगा के
नारे लग जाने दो

उन वीरों ने हथेली पर रख कर
अपनी जानें दी हैं
तुम नहीं थे तब अगर –
“जलियावाला या डांडी घटनाओं में”
जुल्म के नंगे नांचों को
तुम महसूस करो

अपनी बलि दानी से
जो जोड़ गए , इतना सब कुछ
हम पर छोड़ गए
आने वाली पीढ़ी को
इतनी खुशियां, स्वतंत्र,
गणतंत्र, राष्ट्र दे गए

आज नम भी हैं और
खुशी भी है आंखों में
आओ इसका इजहार करें
नमन करें अपने “गौरव” को
हर-घर, घर-घर ध्वजा रवण करें
हर घर तिरंगा,
घर घर तिरंगा का गुणगान करें

जिन वीरों ने
देश में खुशहाली के सपने देखे थे
लाठी, गोलियां और बम सहे थे
सरे आम बाजारों में कत्ल हुए थे
खुले आम फांसी के तख्त चढ़े थे
चारों ओर बेआराम और कोहराम था

सोचो ! कितने भयावह दिन होंगे वो!
उनकी ही इस बलिदानी से
आज हम ठाठ से घरों में सोते हैं
देश विदेशों में इज्जत से रहते हैं,
इतनी खुशी और सब्र है
अंग्रेज, मुगल और तुर्क का
कहां डर और फिक्र है?

आजादी के इस
अमृत महोत्सव में
क्यों न अब एक
प्रण भी कर लें
ना झुकेंगे, ना रुकेंगे
ना कम होने देंगे शान कभी

हम सब हिंद की सेना हैं
इसकी रक्षा, पहला फर्ज यही
क्यों न मन में मनन कर लें
एक तिरंगा को ले नमन कर लें
हर घर को तिरंगा कर लें
क्यों न घर घर को तिरंगा कर लें
हर घर तिरंगा, घर घर तिरंगा कर लें
                       तुराज़……✍️

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़