“कौन कब जी सका है मुहब्बत के बगैर मग़र दुनियाँ में मुहब्बत का हमदर्द भी कहाँ मिलता है” “मुहब्बत” चीज ही ऐसी है न भूख है, न प्यास है, जुबां ...
फिक्र मत कर “गैरों” को समझने की, ख़ुद को समझने से “ख़ुदा” मिल जाता है! “तुराज़”… ✍❤
मनुष्य विचारों से निर्मित प्राणी है। उसके मन में अनंत विचार निरंतर उठ रहे होते हैं और उनमें से जो भी विचार बार – बार उठने लगता है, जब वह ...
वक्त से पहले जो मिलता है उसमें वह मिठास नहीं होती जो समय पर पके हुए फल में होती है।
पिछले लेख में Formula for peace of mind – Part 2, हमने इस बात को विस्तार से समझा कि मन किस प्रकार से अपने होश को खो चुका है और ...
होश की थोड़ी बहुत चर्चा हम अपने पिछले लेख में कर चुके हैं। और साथ ही इसकी हमारे जीवन में कितनी महत्ता है, इसका भी हमने थोड़ा सा विवेचन किया ...
जब से भी मनुष्य ने होश संभाला होगा, उसका मानसिक विकास (Psychological Evolution) हुआ होगा, तब से ही वो इस बात पर निरन्तर प्रयोग कर रहा है कि ये मन कैसे उसके ...
“दहशत कोविड-19 महामारी की (Panic Of Covid-19 Pandemic)” (Hindi Poetry) “ख़ौफ़ के मंझर भी अजीब होते हैं, कभी कौऐ चमगादड़ से, तो कभी दीवालों पे भी साये से दिखाई देते ...
“दमकता अंगारा (Sparkling Ember)” (Hindi Poetry) “वक्त का दिया जलाये चल संसार की हवा से बचाये चल तेरी ही रोशनी से तू बढ़ेगा कदम“ अँगारे उमंग के शायद दब से ...
“आत्म-चिंतन (Self Reflection)” (Hindi Poetry) “ओस की बूंद का, दिनकर के आगे क्या परिचय ! कौन हूँ मैं, मेरा अपने से क्या परिचय!” अनंत श्रंखला है शायद मेरे आने-जाने की ...