चेतन, अचेतन मन व सपने ” Conscious, Subconscious Mind and Dreams, Part – 3 (Story Special)

चेतन, अचेतन मन व सपने ” Conscious, Subconscious Mind and Dreams, Part – 3 (Story Special)

चेतन, अचेतन मन व सपने (पार्ट -3)

Conscious, Subconscious Mind and Dreams” ( Part -3)

(Story Special)
अचेतन मन में संचित सूचनाएं और उनके ही आधार पर सपने-: Dreaming according to the information stored in Subconscious Mind)
 

कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल (Kumaon University Nainital) से कॉमर्स में मास्टर (M. COM) करने के बाद में दिल्ली आ गया । और अगले ही दिन मैं अमेरिकन सेन्टर (AmericanCenter) जो कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित है वहां गया और हारवर्ड बिज़नेस स्कूल(Harvard Business School)  के बारे में पूरी जानकारी ली । मैं वहां जाकर बिज़नेस मैनेजमेंट पढ़ना चाहता था।

मैंने कई वित्तीय संस्थाओं (Financial Institution) से बात की लेकिन किसी वजह से मुझे फाइनेंस नहीं हो पाया।
लेकिन मैंने CA में दाखिला ले लिया और पढ़ाई शुरू कर दी।
3 साल में मेरी आर्टिकलशिप ट्रेनिंग पूरी होते-होते मुझे एक CA फर्म से काम करने का मौका मिला और साथ ही मेरी फाइनल के कुछ पेपर की पढ़ाई भी चलने लगी। मैंने एक क्लाइंट के लिए ERP installation पर काम किया जो बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था, मैं उन उद्योगपति से लगातार मीटिंगें करता, धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त हो गए। अब हम काम के बाद भी मिलते और विचारों को साझा करते थे।
कई बार मुझे लगता कि अगर इस आदमी ने बिज़नेस मैनेजमेंट किया होता हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से, तो ये बहुत आगे निकल जाता। क्योंकि वह मेरी बहुत सी बातें नहीं समझ पाता था।
 
सपना-: (Dream)
एक दिन रात में मुझे सपना आया कि मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गया हूं और क्लास ले रहा हूँ और मेरे वह क्लाइंट वहां स्टूडेंट है और क्लास में बैठकर मेरा लेक्चर सुन रहे हैं। तभी मेरी माँ का फ़ोन आता है कि खाने में क्या बनाना है, कोई और भी आ रहा है क्या खाने पर।
तभी क्लास के बाहर दो स्टूडेंट्स में झगड़ा हो जाता है और मेरे पिताजी पुलिस ऑफिसर के रूप में वहां आते हैं । थोड़ी देर में जब सब कुछ ठीक हो जाता है तो वो मेरी क्लास में आते हैं और मेरे क्लाइंट से जो क्लास में पढ़ रहा है उससे कान में कुछ कहते हैं और फिर वह अपनी जेब से कुछ पैंसे निकालकर उनको दे देता है। तभी अचानक मेरी नींद खुल जाती है।
अब आप देखो, ये सब मेरे अंदर पहले से ही स्टोर था लेकिन अचेतन मन (subconscious mind) ने  सब जोड़कर एक पूरी पिक्चर बना दी। बड़े मजे की बात तो यह है कि हम कैसे अपना समय और पैसा बर्बाद करते हैं इन सपनों में अपने तर्क लगाकर  देखिए।
मैंने ये सपना मम्मी को बताया । मम्मी को लगा पापा किसी से पैंसे माँग रहे थे, मेरे पिताजी की मृत्यु कई साल पहले हो चुकी थी। माँ ने पंडित जी को फ़ोन मिलाया उन्होंने कहा कि ये तो कुछ गड़बड़ है इसका मतलब है कि इस बार श्राद्ध में उनके हिस्से का सब कुछ नहीं दिया गया, तुम बनारस जाकर कुछ दान-पुण्य उनके नाम से कराओ।
माँ बनारस गईं और कई लाख रुपये इस दान-पुण्य में खर्च हो गए। अब मैं माँ का दिल भी नहीं तोड़ना चाहता था ये कह कर की ये सब विचार और प्रभाव मेरे अंदर ही अचेतन मन में हैं ।
जब वो जिंदा थे मैंने उनको कई बार माँ से पैंसे मांगते देखा था, इसमें कुछ भी नया नहीं था। इसी तरह हम अपने तर्क लगाकर एक (vicious cycle) कभी खत्म न होने वाले चक्र में फंस जाते हैं।
जैसे अभी हम हैं, इतने उलझे हुए, इतने सोए-सोए, खोए-खोए हैं कि हमारे सपनों का कोई मूल्य नहीं है। यह सब बकवास है।
जरा सोचो! अपनी ही जिंदगी को देखो, न हमें यह पता है कि हम कौन हैं?  कहां से आए हैं? क्यों आए हैं? कहां जाना है? हमारे इस जीवन के मिलने का उद्देश्य क्या है? जब हम मरेंगे तो कहां जायेंगे?
जब हमें कुछ भी नहीं पता, तो क्या आपको लगता नहीं कि अभी भी तो हम सोए हुए हैं…
 
चेतन मन का ज्यादा कार्यशील होना और नींद न आना-: hyperactive Mind can’t sleep)
जैसे कि हमने ऊपर समझा कि अगर चेतन मन सारी सूचनाओं पर गौर करने लगे तो वो अपना फोकस या ध्यान खो देगा और बहुत ज्यादा विचलित हो जाएगा।
अब हम बात करते हैं कि अगर ये लगातार लंबे समय तक चलता रहे तो फिर मनुष्य को नींद आनी मुश्किल हो जायेगी उसका चेतन मन हमेशा ही सूचनाओं को लेता रहेगा और उनके साथ बहता चला जायेगा । ये एक जंजीर की तरह एक ख्याल को दूसरे से फिर तीसरे से जोड़ते चला जाता है और रात में सोते समय भी इसका मन इतनी ही तेजी से चल रहा होता है और इसको नींद आनी मुश्किल हो जाती है, और जब नींद नहीं आएगी तो क्योंकि शरीर नींद के दौरान ही रिकवर होता है वो नहीं हो पायेगा और इसकी रोग-प्रतिरोधकता (immune system) कमजोर हो जायेगी  ये निस्तेज और बीमार होने लगेगा। इसको हम आगे विस्तार से बात करेंगे।
और जब भी ये थोड़ी देर के लिये नींद में जाता है तो क्योंकि नींद से पहले और जागने के बीच में एक उनमनी दशा है जिसको हम संध्या काल कह सकते हैं जब जागने से सोने में प्रवेश होता है उस समय मनुष्य चेतन मन के सुस्त पड़ने के कारण ही नींद में जा पाता है, लेकिन अगर चेतन मन बहुत ज्यादा एक्टिव हुआ अनावश्यक सूचनाओं में या तो भूत काल की घटनाओं में या फिर भविष्य की चिंताओं में तो फिर नींद नहीं ही आ पाएगी । कभी अगर नींद आ भी गई तो बहुत ऊपर ही ऊपर होगी और अचेतन मन की सूचनाओं को तोड़ मरोड़ कर आधा-अधूरा चेतन मन लेता रहेगा और जो हमें याद रहता है इसी को हम सपने कहते हैं।
सपने किसको आते हैं-:
इसलिए उन लोगों को सपने ज्यादा आते हैं जो पूरे दिन अपने चेतन मन को अनावश्यक एक्टिव रखते हैं । लेकिन अगर पूरे दिन चेतन मन(conscious mind) एक ही तरह के काम में केंद्रित रहा तो इसको सपने भी बहुत स्प्ष्ट दिखाई पड़ेंगे ओर कई बार तो इसको समस्याओं का समाधान भी मिलने लगेगा, क्योंकि इसने अचेतन मन से वो निश्चित सूचनाएं मांगी हैं लेकिन इसको वो चेतन अवस्था में नहीं मिल पाई हैं क्योंकि अचेतन मन उन सूचनाओं को खोज रहा है इसलिए कई बार ऐसा भी हुआ है कि नींद में ही हल मिल जाता है।
 
मैंने बचपन में मैडम क्यूरी की कहानी पढ़ी है । उनको भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान(physics and chemistry) दोनों विषयों में 1903 और 1911 में नॉवेल पुरुष्कार मिला।
कहानी कहती है कि अपनी शोध के दौरान एक बार उनको कई प्रयास करने के बाद भी हल नहीं मिल रहा था तो वो आधी रात तक अपना शोध कार्य करते-करते सो गई, और सपने में उनको वो हल दिखाई दिया , जैसे ही उनका सपना टूटा वो तुरंत उठी और उन्होंने उस हल को लिख लिया और फिर सो गई। जब अगले दिन सुबह उठी और उन्होंने अपनी शोध उस सपने के मुताबिक की तो हल निकल गया।
ये कहानी कितनी सच है पता नहीं पर ये बात निश्चित है कि अचेतन मन से जो भी सूचना मांगी जाएंगी वो देगा, हम उसको नहीं पकड़ पाते क्योंकि हमारा चेतन मन कई और अनावश्यक क्रियाओं में उलझा हुआ रहता है और जैसे ही किसी पल नींद में ये शांत होता है और सूचनाओं को पकड़ लेता है और याद भी रह जाती है , तो हल मिल जाता है।लेकिन अधिकांशतर चेतन मन सपनों को याद नहीं रख पाता। इसीलिए मैडम क्यूरी ने उठकर तुरन्त लिख भी लिया होगा, नहीं तो शायद वो हल दुबारा याद भी नहीं आता।
इसीलिए किसी ज्ञानी व्यक्ति ने कहा कि अगर आप किसी ब्यक्ति की हकीकत जानना चाहते हो कि उसका असली चेहरा क्या है तो उसके सपनों को जानने की कोशिश करो, क्योंकि आदमी तो झूठ भी बोल सकता है लेकिन इसके सपने इसका असली चेहरा दिखाते हैं।
 
मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूँ जो जिम जाते हैं और उन्होंने अच्छी मसल बनाई हैं । और पूरे दिन वो सिर्फ अपनी बॉडी को ही देखते रहते हैं , दूसरे से अपनी मसल्स की तुलना करते रहते हैं। लेकिन लगभग सभी ने अपने सपनों के बारे में एक ही बात कही कि उनको लगभग 90%सपने लड़ाई के आते हैं और कई बार तो जब गाली निकलती है या चीख निकलती है मुहँ से तो घर वाले भी जग जाते हैं।
बहुत कम समय के लिए ही एक साधारण इंसान गहरी नींद में जाता है और तभी उसके पूरे दिन की क्रिया-कलाप से टूटे हुए शरीर की मरम्मत हो पाती है।
अब आप समझ पायेंगे कि योग-निद्रा को क्यों महत्वपूर्ण माना गया है। और ये भी समझ पाएंगे कि योगी क्यों इतना कम सोकर भी इतने ऊर्जा-वान, बीमारी रहित ओर लंबी आयु वाले होते हैं।इस बात की और विस्तार से चर्चा हम सचेतन मन (superconscious mind)  के विषय में करेंगे।
आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान अपनी पूरी मेहनत से काम कर रहा है ताकि वह आज के समय के मुताबिक चल सके और अपनी इच्छाओं एवम उत्तरदायित्वों का सही से निर्वाह कर सके।
लेकिन जितना वह अपने दिमाग का इस्तेमाल करता है उतनी ही विचारों की उत्पत्ति होती है और क्योंकि वह पूरे दिन इसी काम में लगा है चाहे वह इंजीनियर हो,वकील हो, या डॉक्टर हो ।
मनुष्य के दिमाग की संरचना इस प्रकार की है कि वह जो भी काम करता है उसका दिमाग वैसे ही सांचे(patterns) बना लेता है तभी तो हम कुछ दिनों बाद किसी भी काम की आदत में पड़ जाते हैं और फिर उस काम को एक मशीन की तरह करने लगते हैं।
इसीलिए जब हम बहुत ज्यादा सोच-विचार वाला काम करते हैं या बहुत ज्यादा दबाव अपने मन पर बना लेते हैं तो फिर हम लगातार ही उन कामों के बारे में सोचने लगते हैं और कुछ दिनों में यह हमारी आदत हो जाती है और हम अपने काम-काज से घर आकर भी उन्हीं आफिस की चीजों के बारे में सोचते रहते हैं और रात में बिस्तर में जाते ही जैसे ही थोड़ा एकांत मिलता है, ये सारे अचेतन मन में बैठी हुई बातें घूमने लगती हैं और नींद ही नहीं आती।
क्योंकि नींद अपने आप आती है, अब ये जितना नींद का प्रयास करता है उतना ही एक्टिव होने लगता है।
 
नींद से शरीर और मन के स्वस्थ रहने का सम्बंध-: (Correlation between healthy Body and Mind to sound sleep)
हमारा शरीर पूरे दिन के किर्याकलाप में बहुत टूट चुका होता है इसमें लाखों सेल खत्म हो चुके हैं और लाखों बन भी चुके हैं । इसलिए इसको मरम्मत की जरूरत होती है जो कि नींद में ही होती है । नींद नहीं आने से यह मरम्मत नहीं हो पाती अब धीरे-धीरे यह बीमार पड़ने लगता है , इसकी काम करने की शक्ति भी जाती रहती है।
नींद के दौरान ही दिमाग से कुछ रसायन(chemical) भी निकलते हैं जो कि इंसान को खुश रखने के लिए होते हैं उनमें भी कमी आने लगती है। शरीर नींद के दौरान ही खाना भी पचाता है। इसलिए अगर थोड़ी  भी नींद आएगी तो सबसे पहला काम खाना पचाने का होगा, इसलिये भी शरीर की मरम्मत नहीं हो पाती है। तभी कहा जाता है कि रात का खाना बहुत कम खाया जाय और सोने के 2 घण्टे पहले तक खा लिया जाय ताकि खाने को पचाने में शरीर को कम समय लगे और वह शरीर की पुनर्स्थापना(recovery) में अपनी ऊर्जा को लगाए
आज के दौर में  नींद न आना तो बहुत ही साधारण बीमारी बन चुकी है और जितना इंसान इससे निजात पाने के प्रयास करता है, जैसे शराब , कोई नशा इत्यादि, या देर रात तक TV देखना, सोशल मीडिया में एक्टिव रहना आदि, इन कारणों की वजह से ओर भी अनिद्रा हो जाती है। धीरे-धीरे मानसिक बीमारी जैसे हाइपर टेंशन, मोटापा, इनसोम्निया, ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारी घेरने लगती हैं।
इंसान के जीवन में 6-8 घण्टे की नींद, शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।
 
अगले पार्ट-3a में हम कुछ प्रयोगों की बात करेंंगे
जिससे की हम मन के स्वभाव को समझकर अपनी जिंदगी को बेहद आसान और खुशनुमा बना सकते हैं।
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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़