कौन रोक पाया है कशिश प्यार की जैसे दरिया बहे चला जाता है समन्दर की तरफ, परवाह भी किसे है रास्ता ढूँढने की चलता है तो खुद बखुद रास्ता बनता ...
“ महकती ही रहे फिजा यूं ही तेरी मुस्कान से प्रभु ने तुझे बनाया ही है इसीलिए”……… फूलों की सी दुनिया होती उसमें मुस्कराता फूल होता “मैं” तो माली कितना ...
“कौन कब जी सका है मुहब्बत के बगैर मग़र दुनियाँ में मुहब्बत का हमदर्द भी कहाँ मिलता है” “मुहब्बत” चीज ही ऐसी है न भूख है, न प्यास है, जुबां ...
फिक्र मत कर “गैरों” को समझने की, ख़ुद को समझने से “ख़ुदा” मिल जाता है! “तुराज़”… ✍❤
“दहशत कोविड-19 महामारी की (Panic Of Covid-19 Pandemic)” (Hindi Poetry) “ख़ौफ़ के मंझर भी अजीब होते हैं, कभी कौऐ चमगादड़ से, तो कभी दीवालों पे भी साये से दिखाई देते ...
“दमकता अंगारा (Sparkling Ember)” (Hindi Poetry) “वक्त का दिया जलाये चल संसार की हवा से बचाये चल तेरी ही रोशनी से तू बढ़ेगा कदम“ अँगारे उमंग के शायद दब से ...
“आत्म-चिंतन (Self Reflection)” (Hindi Poetry) “ओस की बूंद का, दिनकर के आगे क्या परिचय ! कौन हूँ मैं, मेरा अपने से क्या परिचय!” अनंत श्रंखला है शायद मेरे आने-जाने की ...
“लकड़ी का कीड़ा (Wooden Worm)” (Hindi Poetry) “सोया-सोया सा, खोया-खोया सा मदमस्त चला जा रहा था मैं, मंजिल की तरफ शुक्र उस राह के काँटे का, जिसने मुझे चलना सिखा ...
“पैगामे पत्ता (Letter By Leaf)” (Hindi Poetry) “हवा में पत्ते की तरह बह जायेगी जिंदगी कब किसी झाड़ू ने रहम किया है “तूराज़” ढेर लगा कर, फूंक दी जायेगी जिंदगी” ...
“रहस्यमय रचना (Mysterious Creation)” (Hindi Poetry) “एक बाज़ार सा लगा दिखता है हर कोई कुछ दे जाता है, कुछ ले जाता है रहस्य तो ये है, घर तक आते-आते थैला ...