तन्हाई “Loneliness” (Hindi Poetry) “Shayari” जिसने भी तन्हाई में जीना सीख लिया उसी से रू-ब-रू हुई है “ज़िंदगी” हकीकत तो यही है “तुराज़” कि भीड़ में भी तन्हा ही होता ...
कौन हूँ मैं ? (Hindi Poetry) क्या कभी पूछा है अपने से – कि मैं कौन हूँ ? क्या तुम दुनिया में अपनी मर्जी से आये ? ये माँ-बाप चुने ...
(Hindi Poetry) “Shayari” यही तो “अदा” है उसकी खामोश सा रहता है और निगाहों से दिल में घर कर जाता है…. ...
“शबनम को भी खबर कहाँ कि दिनकर की पहली किरण काफी है मिट जाने को “ जीवन का मकसद “Object of Life” (Hindi Poetry) ज्यादा जी लेने से ही क्या ...
ना चाहते हुए भी, ना न कह सके और आज हम अपने से ही बहुत दूर चले गए…… (तुराज़)
कौन रोक पाया है कशिश प्यार की जैसे दरिया बहे चला जाता है समन्दर की तरफ, परवाह भी किसे है रास्ता ढूँढने की चलता है तो खुद बखुद रास्ता बनता ...
“ महकती ही रहे फिजा यूं ही तेरी मुस्कान से प्रभु ने तुझे बनाया ही है इसीलिए”……… फूलों की सी दुनिया होती उसमें मुस्कराता फूल होता “मैं” तो माली कितना ...
If there is a contradiction Between our thoughts and actions, Then we are deceiving ourselves, not anyone else. अगर हमारी “सोच” और “करनी” में फर्क है तो हम किसी और ...