जिंदगी पर कविता -4 (Hindi Poetry) निरुत्तर हूं और निशब्द भी जीवन को जीकर ही जानी मैंने जीवन की परिभाषा बहता नीर निर्मल सा जैसे दुग्ध – स्फटिक धारा हिम ...
अंतराष्ट्रीय कोरोना महामारी “International Corona Pandemic” (Hindi Poetry) बहुत थे जिनको मैं, अब खोजता हूं उन जैसा कभी कोई दिखता भी है पर वह कभी, कहीं नहीं दिखते जब भी ...
अनंत की यात्रा “Journey to Infinity” (Hindi Poetry) उठो चलो, बड़ो आगे को रुक नहीं जाना है वैसे ही बहुत देर हो गई है अब आगे को बड़ते जाना है ...
नव वर्ष की पूर्व संध्या “On the Eve of New year” (Hindi Poetry) कुछ सुख के, कुछ अपनेपन के कुछ इच्छाओं और आशाओं के सपने बुनकर सुंदर महल खड़ा कर ...
अंतिम याचना “Final Call” (Hindi Poetry) मैं तो अब, तेरे ही रथ में बैठा हूं क्या सही है, क्या गलत इसका मुझको कोई इल्म नहीं तू जहां भी हाँक ले, ...
अद्भुत “Amazing” (Hindi Poetry) इस नीले आसमान के नीचे इस धरती का एक कण हूं मैं पर कितना अद्भुत हूं मैं चारों तरफ फैली हुई इस बहुरंगी दुनियां का एक ...
ठंड “Cold” (Hindi Poetry) वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो अदरक-चाय मिलती रहे, स्नैक्स-पकोड़ियां सजी रहें मुंह चलते रहे, रजाई यूं ही उड़ी रहे वीर तुम अड़े ...
सरिता “River” (Hindi Poetry) देखता हूं तट पर खड़े सरिता को बनाते रास्ते बड़ रही सागर की तरफ कुछ पुण्य का भाव लिए सूखता तरुवर कहीं पर पुकार रहा हो ...