अनंत की यात्रा : Journey to Infinity ( Hindi Poetry)

अनंत की यात्रा : Journey to Infinity ( Hindi Poetry)

अनंत की यात्रा

Journey to Infinity”

(Hindi Poetry)

उठो चलो, बड़ो आगे को
रुक नहीं जाना है
वैसे ही
बहुत देर हो गई है
अब आगे को बड़ते जाना है
देखो लक्ष्य!
बड़ो, चलो आगे
दीये की तरह जल जाना है
कम्पन हो अगर जोत में
ओट लगाना
पर जलते जाना है।
कम्पन होगी ही
हवा तेज है
विरोध नहीं, चलो मौज में
आगे ही बड़ते जाना है।

उसकी याद, बनाए रखना
उसको साथ, चलाए चलना
कांटा भी गर, चुभे संसार का
उसकी मौज में चलते जाना
प्यार भी गर मिले, संसार का
सुरति रखना, बह मत जाना
बहुत मिलेंगे राहगीर यहां
उसकी याद मत भुलाए चलना
राहगीरों से भी करो प्रेम तुम
उनकी हां में हां मिलाते चलना

मत उलझना, इस संसार में
इसको चीर कर, चलते चलना
फंसना मत, बहुत खूब है ये
लक्ष्य पर नजर रख, चलते जाना
प्रलोभन मिलेंगे बहुत यहां
पांव से कुचल कर, चलते चलना
हिम्मत रखना, मत घबराना
ताकत अपनी बनाए रखना

तुम चलो अगर यूं ही निरंतर
ताकत बढ़ती जाएगी
तुम रुको न अगर
प्राणों को ले हाथ चलो
चलते चलते, चलते चलते,
फिर पंख लगेंगे, जब तुम्हारे
अब उड़ने की तैयारी है
बहुत हुआ अब, थल पर चलना
अब बगैर राह, नभ पर चलना है

पंख साथ हैं, दिनकर भी है
अब न कभी, अंधेरा है
चलो ! उड़ पड़ो, दूर गगन में
अब सूरज में मिल जाना है
अलग नहीं, अब बिछुड़ नहीं रहना
अब मिलकर ही रहना है
गले मिलो अब, उससे जिसको
प्राण – न्यौछावर कर पाया है।
“तुराज़”…..✍️

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़

4 comments

  1. Turaaz says:

    आपका सहर्ष हार्दिक धन्यवाद।
    आपका उत्साह वर्धन हमेशा प्रेरणा देता है।
    🙏🙏

  2. Turaaz says:

    Your valuable feedback gives me strength to create better content.
    With regards 🙏❤️