एक साधु की कहानी ” Story of a Sadhu” (A Spiritual Story)

एक साधु की कहानी ” Story of a Sadhu” (A Spiritual Story)

एक साधु की कहानी

“Story of a Sadhu” 

(A Spiritual Story)

 

एक व्यक्ति अकेला रहता था। एक दिन उसको विचार आया कि अकेले पूरी जिंदगी कैसे बीतेगी किसी अनाथ बच्चे को गोद ले लिया जाए। अगले दिन वह सुबह उठा और सीधे एक अनाथालय पहुंच गया। उसने एक आठ साल के बच्चे को चुना और उसको घर ले आया। उसने उसका नाम “मनसा पूर्ण” रखा। वह रोज ऑफिस जाने से पहले मनसा पूर्ण के लिए खाना बनाकर रख जाता। मनसा पूर्ण बिल्कुल शांत, कम बोलने वाला था और एकांत में बैठा रहता था।

इस व्यक्ति को उसके साथ रहकर कुछ आध्यात्मिक अनुभव होने लगे। कभी कोई झरना गिरने की आवाज सुनाई देती तो कभी कोई बिजली कड़कने की चमचमाहट। यह शुरू शुरू में तो डरने लगा मगर जब मनसा पूर्ण को देखता कि वह शांत है जैसे कुछ हुआ ही नहीं तो यह भी चुप हो जाता।

एक दिन शाम को जब यह ऑफिस से घर आया तो इसने देखा कि मनसा पूर्ण घर पर नहीं है। इसने सारे घर में देखा। घर के बाहर चारों तरफ देखा। आवाजें लगाई मगर मनसा पूर्ण कहीं नहीं मिला। यह परेशान हो गया और उस रात बिना खाए पिए ही सो गया। अगले दिन ऑफिस चला गया मगर वहां मन नहीं लगा। किसी तरह शाम को घर पहुंचा यह आश लिए कि शायद मनसा पूर्ण आ गया होगा मगर निराशा ही हाथ लगी। एक हफ्ता बीत गया। मनसा पूर्ण नहीं आया।

तीन महीने बीत चुके थे। यह उदास हो चुका था कि शायद इसकी जिंदगी में अकेलापन ही है। तभी रात में किसी ने दरवाजा खटखटाया। यह उत्सुकता वस दरवाजे पर लपका और देखा कि एक साधु मनसा पूर्ण को साथ लेकर आए थे। उसने दोनों को अंदर बुलाया। साधु का आदर सत्कार कर दोनों को भोजन कराया। तब साधु ने कहा कि यह जो तुम बच्चा लाए थे यह एक सिद्ध पुरुष है। जब हमें अंतर्दृष्टि से यह अनुभव हुआ तब तक आप इनको यहां ला चुके थे। हमारे पूर्व गुरु महाराज ने कहा था कि आने वाले गुरु आपके अंदर दिखाई देंगे। हम उसी इंतजार में थे। जिस दिन हमें रात को अनुभव हुआ कि गुरु देव वहां अनाथाश्रम में प्रकट हुए हैं हम वहां गए, तो पता लगा कि आप उनको यहां ले आए हैं।

साधु ने उस व्यक्ति को कहा कि तुम अगर चाहो तो इन्हें गुरु रूप में स्वीकार कर सकते हो। मैं इनको इनके आश्रम दिखाने ले गया था। तुम चाहो तो हमारे साथ चल भी सकते हो।
तब उस व्यक्ति को उस बच्चे के साथ बीते कुछ दिन याद आए। और वह आवाजें और प्रकाश के झोंके याद आने लगे। उसको अपनी प्रसन्नता और बिना किसी कारण के आनंद का अनुभव याद आया था। और इस बच्चे के जाने के बाद के दिनों की निराशा और दुख भी याद आने लगा। और जैसे ही उसने मनसा पूर्ण की तरफ देखा उसे अपार ऊर्जा का अनुभव होने लगा जो उसके मस्तक पर चमक रही थी।

उसने तुरंत मनसा पूर्ण को गुरु रूप में स्वीकार कर लिया और उनके चरण छुए। दीक्षा ली और फिर वह तीनों आश्रम के लिए चल पड़े। जिंदगी में कब बदलाव आ जाए कोई नहीं जानता। अपनी जिंदगी को साफ सुथरा रखना चाहिए। किसी भी समय आपके ऊपर किसी बुद्ध पुरुष की कृपा हो सकती है और पूरा जीवन बदल जाता है।

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़