चेतन, अचेतन मन व सपने : “Conscious, Sub Conscious mind and Dreams” (Part- 2)

चेतन, अचेतन मन व सपने : “Conscious, Sub Conscious mind and Dreams” (Part- 2)

चेतन, अचेतन मन और सपने

“Conscious, Sub Conscious Mind and Dreams” (Part-2)

(Story Special)
जैसा कि हमने चेतन ओर अचेतन मन के सम्बंध को अपने पिछले लेख में पड़ा। यहां हम उन महत्वपूर्ण विषयों पर बात करेंगे जब चेतन ओर अचेतन मन मे सामंजस्य आधा-अधूरा हो या बिल्कुल न हो, तो क्या होगा ?
चेतन और अचेतन मन का आपसी तालमेल:-
(Correlation between conscious and subconscious mind)
जिन-जिन चीजों को आप दिनभर में करते हैं, क्योंकि अचेतन मन आपको लगातार सूचनाएं देता और लेता रहता है लेकिन, अगर आपने होशपूर्वक जिस काम को भी आप कर रहे हों, उस पर ध्यान नहीं दिया और इस अचेतन मन की उन सुचनाओं पर ध्यान दिया, जिनकी कोई भी जरूरत नहीं है, तो आप अपना होश खो बैठेंगे और अपने कार्य को अच्छे से नहीं कर  पाएंगे जो हम सबकी परेशानी है।
जैसे ऊपर मैंने कहा कि आप मीटिंग में हैं , अचेतन मन ने आपको सूचना भेजी कि इसकी आवाज़ आपके पड़ोसी जैसी है , ध्यान रखें अचेतन मन को कोई लेना देना नहीं कि आपको क्या जरूरी है क्या नहीं, उसने तो सारी सूचनाएं आपको देनी हैं । लेकिन ये सूचना आपके लिए जरूरी नहीं है क्योंकि आप तो किसी  मीटिंग के लिए गए हो, न कि आवाज़ देखने या शर्ट देखने । लेकिन अगर आप  आवाज़ के चक्कर में फंस गए तो आप अपने पड़ोसी को ही अपने अंतरतम में देखने लगेंगे, उन बातों के साथ, जो आपने एक दिन पहले आफिस से आते समय उनसे की थी और….आप इन ख्यालों में अपनी चेतनता से दूर चले जायेंगे  और ये शिलशिला एक chain की तरह शुरू हो जाएगा कि आप मीटिंग में भी उपस्थित तो रहेंगे लेकिन AutoPilotMode में।
यही हमारे दुख का कारण है कि हम अपना काम पूरे होश (awareness ) से नहीं कर पाते हैं और पूरा रिजल्ट नहीं मिल पाता ।  फिर हम इसका दोष अपनी किश्मत या भाग्य पर मढ़ देते हैं।
 
चेतन-मन की ऊर्जा का अनावश्यक ह्रास :- 
( Dissipation of the vital energy of the conscious mind)
बड़े रहस्य की बात यह है कि जितनी हमारी इस तरह के अनावश्यक विचारों के साथ जाने की आदत बढ़ जायेगी उसी अनुपात में हमको अपने  काम का परिणाम मिलेगा और अगर हमने इस आदत को नहीं समझा और अपने होश पर ध्यान नहीं दिया तो जो होगा हम उसे मानसिकअसन्तुलन कहते हैं। और जैसे-जैसे ये स्थिति बढ़ती जाएगी उसी तरह हमारी मानसिक और शारीरिक शक्ति का ह्रास होता जाता है ।
ये मुख्य कारण है जब अक्सर लोग  पूछते हैं कि  विचार बहुत आते हैं जबकि हकीकत यह है कि हम उन सभी सुुुचनाओं को अपने ध्यान में ले रहे हैं   जिनकी हमें उस समय जरूरत नहीं है।
आप मुझे बताओ कि उस मीटिंग में उस आदमी ने जो शर्ट पहनी थी वैसी ही शर्ट मेरे दोस्त के पास है, अब आपके पास ये सूचना आयी अचेतन मन से, तो क्या आपको इस सूचना पर इतना ध्यान देना चाहिए जबकि आप एक जरूरी मीटिंग में बैठे हैं?
नहीं, सूचना आई क्योंकि वह एकत्रित थी, अचेतन-मन तो आपको सब देगा ही, उसे कोई मतलब नहीं कि आपको क्या जरूरी है क्या नहीं। हमारी परेशानी और दुख का कारण यही है कि हम इतने बेहोश हैं कि किसी भी सूचना के साथ चले जाते हैं ओर अपनी बहुमूल्य शक्ति को जो सीमित है उसको भी गवां रहे हैं और जिस काम को कर रहे थे वह भी पूरा नहीं हो रहा है इसी को हम बेहोशी कहते हैं और यही हमारे दुख का कारण है।
इसको कोई और नहीं जान सकता सिर्फ हम ही जानते हैं क्योंकि दुनिया को तो यही लग रहा है कि तुम्हारी आंख खुली हैं तुम काम कर रहे हो। लेकिन हकीकत यह है कि हम सोये हुए हैं और कोई दूसरा हमारी मदद नहीं कर सकता, जब तक कि हम ही अपनी मदद के लिए तैयार न हों , तो ये काम हम ही को करना है। मुझे आशा है कि ये पढ़ने के बाद से ही आपके जीवन में बदलाव आने लगेगा।
चेतन मन (conscious mind) जब अचेतन मन की सभी सुचनाओं को लेकर उन पर अपना निष्कर्ष देने लगे ओर बार-बार सूचनाएं भेजे की अब इस बारे में बताओ, अब उस बारे में बताओ, जिसकी कोई भी जरूरत न हो तो समझो कि अब इसने अपना होश खो दिया है । (इसी अवस्था को हम ( scattered mind ) माइंड का भटकना कहते हैं), अब यह बिना सोचे-समझे कुछ भी करने व कहने लगा है। चेतन मन की इस अवस्था में ये परिणाम नहीं देखता बल्कि जल्दबाजी में कुछ भी कर जाता है। और इसी वजह से इंसान, चेतन और अचेतन मन, दोनों को परेशान कर देता है। एक उदाहरण से समझते हैं।
चेतन मन का नियंत्रण खो देना- (When Conscious Mind lost the control)
CA की पढ़ाई के दौरान में लाइब्रेरी में जाकर पढ़ता था
वहां एक लड़का अक्सर घूमता हुआ दिखाई देता था। कभी बालकनी में, कभी सीढ़ियों में,कभी चाय की दुकान के आस- पास। अक्सर वह अपने से ही बातें करता रहता था। अंगुलियाँ भी हिलाता, चेहरे पर भी उसके भाव आते रहते। वह कुछ एग्जाम भी दे चुका था और पास नहीं हो पा रहा था। कुछ दिनों बाद उसकी तबियत और बिगड़ने लगी। अब तो वह चेतन मन के कंट्रोल को ही खोने लगा था। जब भी वो हॉल में पढ़ने आता, अपने सामने वाले का मोबाइल उठाकर फ़ोन मिलाकर बात करने लगता, कभी किसी का लैपटॉप उठा लेताऔर काम करना शुरू कर देता। फिर एक दिन, जब बहुत ज्यादा हो गया तो उसको लाइब्रेरी से निकाल दिया गया।
चेतन मन जब भी इतना आक्रामक हो जाता है कि उसके ऊपर नियंत्रण ही नहीं रहता तो इस तरह की घटनाएं होने लगती हैं । जैसे आप देखते और सुनते हो कि राह पर चलते-चलते किसी को छेड़ देना । किसी को बिना वजह कुछ भी कह देना। ये सब इसी अवस्था के लक्षण हैं। असल में ऐसे व्यक्ति को अपने व्यवहार का कोई पता ही नहीं लग रहा है, और इसके बाद अगला कदम है जब हम किसी को पागल कहने लगते हैं । इस स्थिति में उसको अचेतन मन में उठ रहे भाव प्रदर्शित होने लगते हैं और अक्सर वह भाव वो होते हैं जिन्होंने उसको बहुत प्रभावित किया हुआ होता  है। जैसे अगर कोई किसी लड़के या लड़की के प्यार की वजह से नियंत्रण खो बैठा हो तो उसको बार-बार वह तस्वीर दिखाई देने लगेगी जैसे कि आपने रास्ते चलते अक्सर देखा होगा कि कोई पागल गाली दिए जा रहा है , या कुछ और कर रहा है जबकि वहां कोई नहीं है,लेकिन उसके आंखों के आगे वो तस्वीरें आ रही हैं जिन पर वह प्रतिक्रिया कर रहा है।
ओर इसीलिए अब ऐसे आदमी को शांत करने का एक ही इलाज होता है कि उसको बिजली का करेंट दिया जाए, जो हम अक्सर मजाक में कह देते हैं। लेकिन ये हकीकत है, या इसको मन को सुस्त करने की दवा दी जाय, जो अक्सर इनको दी ही जाती है ताकि इनको नींद आ सके।
जब चेतन मन बार-बार किसी वस्तु को देखता है तो किस तरह से अंदर अचेतन मन में प्रभाव पड़ते हैं इस बारे में नीचे की एक घटना से समझते हैं-:
 
मन को बार-बार दी गई सूचनाएं जो सपने बन जाती हैं -:(Repeating the Information to the Mind time to time becomes Dream)
अभी-अभी 12 अगस्त को कृष्ण-जन्माष्टमी (birthday of Lord Krishna) थी । एक आदमी ने व्रत किया, सुबह-शाम पूजा की, ओर रात में 12 बजे ये भगवान के पैदा होने के बाद पूजा करके अपना ब्रत तोड़कर कुछ हल्का-फुल्का खा कर सो गया।
रात में इसको सपना आता है कि भगवान पैदा हुए और वासुदेव उनको सर पर लेकर चले हैं , यमुना नदी में बाढ़ आई है लेकिन शेषनाग ने भगवान को छतरी की तरह ढक रखा है और वो नदी पार कर गए हैं । ये उनके घर के मंदिर में फ़ोटो भी है जिसकी उन्होंने पूजा की थी।  तो उन्होंने इसको अचेतन मन(subconscious mind) से चित्रित कर लिया है अब मजे की बात देखिये-
 
इस सपने में भगवान कृष्ण नवजात शिशु हैं लेकिन उन्होंने भी मास्क लगाया है, वासुदेव ने भी और शेषनाग ने भी मास्क लगाया है। और जब वह किनारे पर पहुंचे पार करके नदी को, तो देखा कि
गाँव के लोग गेलनों से, नदी से पानी भर रहे हैं और कह रहे हैं कि ये सेनिटाइजर है।
आप समझ रहे हैं ये खेल!  इसके मन ने जो पिछले 4 महीनों से जो ये सुन रहा है, देख रहा है, मास्क,सेनिटाइजर आदि को, कैसे इसके ब्रत से,  पूजा से जोड़ दिया है। अब ये आदमी पूछता है इसका क्या मतलब है ?  कोई मतलब नहीं है । बस इतना ही समझो कि तुम होश में नहीं हो तुम्हारे अचेतन मन में एक ही चीज चल रही है कि covid-19 की वजह से क्या-क्या हो रहा है। तुम लगातार T V पर ये देख रहे हो , तुम हर किसी से यही बात कर रहे हो, तुम्हारा अचेतन मन इन्हीं चीजों को स्टोर किये जा रहा है, और तुम्हें दिए जा रहा है।  जब तुम रात में सोये थे तो तब भी अचेतन मन में खलबली थी । हमें पता ही नहीं है की किस तरह ये सब चल रहा है और हम अपने को बर्बाद कर रहे हैं । क्यों हमें बार-बार समझाया जाता है उन लोगों के द्वारा, जिन्होंने इस रहस्य को समझा है कि क्यों इतना लड़ाई झगड़ा ( violence),  इतनी अश्लीलता (Sex) हम देख रहे हैं ? क्यों हम अनावश्यक सुचनाओं को एकत्रित कर रहे हैं?
 
मन को अनावश्यक रूप से लगाये रखना-:(Unnecessary occupied the Mind)
आज के युग में बटन दबाते ही सब जानकारी आपको मिल रही है , लेकिन क्या आप समझते हैं कि सब आपके लिए जरूरी है, तो फिर आपको ये भी समझना होगा कि इस जानकारी को कैसे स्टोर करना है, कैसे उपयोग करना है, जो कि हमें नहीं है। और आज दुनियां में सबसे ज्यादा लोग नींद न आने, कहीं भी किसी भी काम में मन न लगने,यादास्त कमजोर होने(parkinsan) और सपनों से परेशान हैं। आइए इन पर ओर बात करते हैं।
हमारा चेतन मन जहां भी ध्यान लगाता है उसको तुरन्त अचेतन मन से सूचनाएं मिलने लगती हैं। और अगर चेतन मन हर उन अनावश्यक चीजों पर भी ध्यान देगा जो इसके लिए बिल्कुल भी जरूरी नहीं हैं बल्कि कोई लेना-देना ही नहीं है तो फिर चेतन मन अपनी ताकत खो देगा, और  हमेशा ही विचलित और हलचल में रहेगा। इस सबकी वजह से, पीछे जो अचेतन मन है जो सूचनाओं का भंडार है वो भी विचलित हो जाएगा उसे इतनी सूचनाएं देनी पड़ जाती हैं कि वो बहुत तेज प्रक्रिया में लग जाता है जिसकी वजह से उसको  जब चेतन मन कोई सूचना नहीं मांगता तब भी कार्य में संलग्न रहना पड़ता है और आराम नहीं मिलता। इसलिए जब भी अचेतन मन में ज्यादा हलचल रहती है तो ज्यादा सपने, ओर ऐसे सपने आते हैं जिनका कोई सर-पैर नहीं होता। आइए उदाहरण से समझते हैं।
अभी मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि उन्हें अजीब सपना आया कि भगवान कृष्ण अपने रथ के साथ  युद्ध के मैदान में खड़े हैं। अर्जुन उनके आगे हाथ जोड़े खड़े हैं, मगर भगवान कृष्ण का मुंह ईसामसीह की तरह दिख रहा है और हाथ में गुरु गोविंद सिंह जी वाला बाँज बैठा है ।  अर्जुन के कंधे में AK -47 गन है और भगवान कृष्ण अर्जुन को कह रहे हैं  कि चाइना बॉर्डर आने वाला है  जल्दी करो। सेना बढ़ चुकी है। क्या मतलब है इस बकवास का ?
लेकिन यह आदमी इस बात का हल पूछता है ।  यह सपना अचेतन मन में चल रहे तूफान को बताता है। ये सारी सूचनाएं इसके पास हैं । इसने ईसा की तस्वीर देखी है । कभी गुरु गोविंद सिंह जी का फोटो बाँज लिए भी इसने देखा है , चीन के standoff के बारे में ये रोज रोज यह, सुन और पड़ रहा है । और TV में इसने रायफल देखी हैं जब आतंकवादी पकड़े जाते हैं।
ये कुछ भी नहीं है, बस एक हलचल है अचेतन मन में । जो चेतन मन के ध्यानपूर्वक काम न करने की वजह से पैदा हुई है। तो आप यह समझ लें कि जब भी किसी ऐसे आदमी को इस तरह के सपने लगातार चल रहे हैं तो वह आदमी बहुत हड़बड़ी में(short-tempered) है, जल्दबाजी में है, परेशान है, सोचता रहता है, असंतुष्ट है, उसका अपने काम में  ध्यान नहीं लगता।
 
दिनभर एक ही काम को दोहराना-: (Repeating the Same Work whole day)
एक और स्थिति है जब चेतन मन पूरे दिन एक ही काम को दोहरा रहा हो , तब भी रात में अचेतन मन चलता रहता है लेकिन उसी दिन भर की कार्यवाही के हिसाब से। आइए उदाहरण से समझते हैं। ये मेरी अपनी आप बीती है।
मैं क्लास 8th में पढ़ता था। हम लोग नैनीताल (Nainital) के पास ही एक शहर है हल्द्वानी (Haldwani) वहां रहते थे । लगभग 40-50 लोगों की छोटी सी बस्ती ( slum)होगी। हमारी  बहुत छोटी सी झोपड़ी थी,और गर्मी में उसमें अंदर रात बिताना बहुत मुश्किल था तो हम लोग रात में एक बड़े मकान की छत में सोते थे जो खाली पड़ा था, घर के पास ही था। सभी आसपास के लोग भी वहां आ जाते और सब अपना विस्तर डालते, सो जाते। देर रात में अक्सर एक लड़का जिसका नाम “कल्लू” था, जो थोड़ा गरीब परिवार से था और एक सिटी बस ( मेटाडोर) में हेल्पर का काम करता था । उसका काम पैसेंजरों को आवाज लगाकर बैठाना था । “किच्छा-नगला-शांतिपुरी”, ये तीन कस्बों में वो सिटी वैन जाती थी। वह पूरे दिन यही आवाज लगाता था – “किच्छा-नगला-शांतिपुरी”।
जब वह रात में  सोने आता तो वो नींद में भी यही आवाज लगाता था और मेरी नींद खुल जाती थी लेकिन वह गहरी नींद में होता था । कई बार मैं उसको हिला कर जगाता था और बताता, तो उसको विस्वास ही नहीं होता था। ये मेरी आप बीती है।
इस आदमी का चेतन मन जो पूरे दिन कर रहा था उसी हिसाब से अचेतन मन भी कार्यशील था लेकिन बहुत फोकस, उसको वही काम करना है, आवाज लगाने का । वह पूरे दिन एक मशीन की तरह काम कर रहा था। वही आवाज, वही लय, वही शब्द, बस ये ही अचेतन मन उसको दे रहा था। और जब रात में चेतन मन मूर्छित हो गया तब भी उसका अचेतन मन वही दिन भर के काम को दोहरा रहा था।
 
दोहराने से अचेतन मन ज्यादा सक्रिय हो जाता है-:(While Repeating, Sub Conscious mind becomes more active)
इस ऊपर की घटना से आपको एक बात स्पष्ट हो गई है कि दिन भर आप जो भी काम बार-बार दोहराएंगे वह आपके अचेतन मन को चालू रखेगा। आपका चेतन मन चाहे सो गया हो या कहीं और काम में लगा हो, तब भी यह बार-बार दोहराने का काम चलता रहेगा जिसका हमें पता भी नहीं लगता और जैसे ही हम नींद में जाते हैं ये सुनाई पड़ने लगता है ।
अब आप ये समझ पाएंगे कि बचपन में माँ आपको क्यों बार-बार counting, और tables (1 – 20) दोहरवाती(reciting) थी। ताकि ये आपके अचेतन मन तक बैठ जाये और जब पूछा जाय तो बिजली की तरह आपकी जुबान पर आ जाये । इस तरह ही तो हम बच्चों को एक्टिव बनाते हैं। तो आज आपको बचपन में ऐसा क्यों करवाते हैं इसका logic पता चल गया होगा।
इसको खुद अपने ऊपर सोचो कि आपने कितने वर्षों से कोई टेबल नहीं पढ़ी लेकिन मैं आपसे कहूँ 7 की टेबल सुनाओ तुरन्त आपके जुबान पर आ जायेगी । इसीलिए हम अपनी पढ़ाई के दौरान रिवीज़न बार-बार करते थे। अभी मैं एक CA टॉपर का इंटरव्यू पढ़ रहा था , उसने कहा कि exam से 2 महीने पहले से उसने कुछ भी नया पढ़ना छोड़ दिया था, इन दो महीनों में उसने सिर्फ रिवीज़न किया है। और मजे की बात ये की उसने 30-40 बार रिवीज़न किया था सारे सब्जेक्ट्स का।
 
अब मैं आपको पार्ट-3 में, मन में स्टोर कुछ सच्ची घटनाओं को कैसे आपका अचेतन मन आपको सपनों में दिखाता है जिनसे की आप हैरान रह जाते हैं और कारण पूछने लगते हैं। आपको ये लगता है कि आपके अंदर कुछ खास शक्ति आ रही है।
इस विषय के अंत में हम कुछ प्रयोग भी करेंगे कि कैसे आप अपनी रोज की जिंदगी में इन excises को कर सकते हैं और अपनी जिंदगी को बहुत खुशनुमा कर सकते हो।
 
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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़

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