अहोभाव या कृतज्ञता “Gratitude” (बुद्ध के उपदेश)

अहोभाव या कृतज्ञता “Gratitude” (बुद्ध के उपदेश)

अहोभाव या कृतज्ञता

“Gratitude”

(बुद्ध के उपदेश)

 

अहोभाव या कृतज्ञता ही मनुष्य को स्वस्थ प्रसन्न और सुखी रखने में सहायक हो सकती है।

सभी बुद्ध पुरुष कहते हैं की अहोभाव या कृतज्ञता के अलावा हमारे पास कुछ भी नहीं है जो हम दे पाएंगे।

क्योंकि इस अस्तित्व ने हमें इतना कुछ दिया है कि हमारे पास धन्यवाद के अलावा कुछ भी देने को नहीं है। हमारा कुछ भी नहीं है।

हमसे एक दिन निश्चित ही यह सब ले लिया जाएगा जिसको हम अपना कहते हैं।

इसलिए हमेशा ही अहोभाव या कृतज्ञता में अपना जीवन बिताना चाहिए।

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़