आध्यात्मिक यात्रा : “The Spiritual Journey” ( Hindi Poetry)

आध्यात्मिक यात्रा : “The Spiritual Journey” ( Hindi Poetry)

आध्यात्मिक जीवन

“The Spiritual Journey”
(Hindi Poetry)
देखो स्वर्णिम दिन की
शुरुआत हुई।
किरण दिनकर की
जब आयी मस्तक पर
मधुबन में   गुंजन भौंरों का,
तब सुवास   भरी धरा में
नृत्य सा उठा,
ऐसा कलरव   कोयल का।
देखो स्वर्णिम दिन की
शुरुआत हुई।
देखो  अपने पंखों को
दूर गगन में उड़ती  चीलों में
अपने ही अन्तरगर्भ में
धंसता ही जाता हूँ मैं।
धुन वीणा की
जब भी बजती
कान लगा  खो जाता हूँ मैं।
देखो स्वर्णिम दिन की
शुरुआत हुई।
तम का अंधियारा
मिटता ही तब है,
जब मैं,  गोते खाता हूँ
अंतरतम में।
दूर शितिज को
लाँघ गगन में
जैसे  मिट ही जाता हूँ मैं।
फिर भी बैठा
हूँ मैं धरा पर
देखो,स्वर्णिम दिन की
शुरुआत हुई।
                                        तुराज़…..✍️
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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़

8 comments

  1. Turaaz says:

    आपका सहर्ष धन्यवाद व सादर प्रणाम, मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आपको मेरी लेखनी को पड़कर खुशी मिल रही है।
    आपका यह प्रोत्साहन ही मुझे और अच्छा लिखने की प्रेरणा देता है।
    धन्यवाद 🙏🙏❤️

  2. Turaaz says:

    Thankyou so much sir
    Your appreciation boost me up to write better than today as I’m always a learner.
    Thankyou regards 🙏🙏❤️

  3. Turaaz says:

    Thanks 🤩 Karan, I am delighted that you are interested in reading Hindi poems and stories, your appreciation always give me strength to create or set a vision for youth like you.
    Thanks❤️❤️

  4. Turaaz says:

    Thanks 😍 , your appreciation is valuable for me to create better in future.❤️❤️