शिक्षक दिवस “सर्वगुरु”
“Teachers Day”
(Hindi Poetry)
सब गुरु हैं
सबको नमन है
मेरे जीवन में सब
बड़े हैं
मैं छोटा रहूं
सीखता रहूं
यही मेरा प्रण है
बचपन में नन्हा था
तब मां – पा ने ज्ञान दिया
फिर अपनों ने,
सगे और परायों ने
खेल खेल में, खिलौनों ने भी
ज्ञान दिया
स्कूल, कालेज में
गुरु की संगत और
यार दोस्तों की रंगत
सबने मुझको ज्ञान दिया
नौकरी, पेशे में
बॉस और उस्ताद ने
मुझको ऐसा ज्ञान दिया
कि चंद्र और सूर्य
प्रज्ञा और आदित्य ने
इसरो की पाठशाला में ही
ज्ञान लिया
गुरु वही जो देना जाने
जो समझाए, सिखाए, पढ़ाए
मगर कभी न जताए
यह पूरी कुदरत
गुरु ही गुरु है
समझ सको और सीख सको
तो राह का पत्थर भी गुरु है
जिसकी ठोकर से भी ज्ञान मिला
चलना हो तो संभलकर
देखकर चलना
पुष्प सिखाता है प्यार करना
प्यार में अपने को न्योछावर करना
रंग दे, गंध दे, मधु दे, बाहर दे
बीमारी हो, परिणय हो
या आदर सत्कार हो
कहीं जनाजा या अर्थी हो
तब भी उसने ही कुर्बानी देनी है
यही सिखाता है पुष्प हमें कि
कुदरत गुरु है
हर पल समझाती है
दिखाती है, बताती है
सर्वगुरु को सादर नमन है
सत सत नमन है।