सनातन ही सनातन है “Sanatan is Eternal” (Hindi Poetry)

सनातन ही सनातन है “Sanatan is Eternal” (Hindi Poetry)

सनातन ही सनातन है

“Sanatan is Eternal”

(Hindi Poetry)

सनातन ही तो सनातन है
यह आज का भी नहीं
कल का भी नहीं
यह तो सनातन से है

जो सच है आज भी है
और कल भी है
यही सच तो सनातन है

सनातन न आता है
न जाता है, ना पैदा होता है
न मरता है
सनातन तो हमेशा ही रहता है

सनातन तो सांस है
प्राण है, जीवन है
सनातन से तो सब कुछ बना है

सब सनातन है
सब कुछ उसके अंदर है
जो आता है जो बनता है
वह सनातन से ही बनता है

सनातन की कोई सीमा नहीं
सनातन तो आकाश है
सूरज का प्रकाश है
हवा है, पानी है
धरती के कण-कण में
सब सनातन ही तो है

सनातन को कौन बांध पाएगा
सनातन तो सबका है
सब में है
बिना सनातन के
कुछ भी नहीं जन्मा है
सनातन ही तो सनातन है

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़