“कौन कब जी सका है मुहब्बत के बगैर
मग़र दुनियाँ में मुहब्बत का हमदर्द भी कहाँ
मिलता है”
“मुहब्बत” चीज ही ऐसी है
न भूख है, न प्यास है,
जुबां पर, बस एक नाम है
खयालों के बादल उमड़ते हैं
और ख्वाबों की बारिश होती है!
~ तुराज़
“कौन कब जी सका है मुहब्बत के बगैर
मग़र दुनियाँ में मुहब्बत का हमदर्द भी कहाँ
मिलता है”
“मुहब्बत” चीज ही ऐसी है
न भूख है, न प्यास है,
जुबां पर, बस एक नाम है
खयालों के बादल उमड़ते हैं
और ख्वाबों की बारिश होती है!
~ तुराज़