कर्म और भाग्य
“Karma and Destiny”
(Hindi Poetry)
हमें अपने को
छोड़ देना होगा
उस कटी पतंग की तरह
“पतंग” को नहीं मालूम
कि उसको बनाने में
किसी पेड़ की
बलि दी गई थी,
“पतंग” को नहीं मालूम
कि किसी घर में
दो जून की रोटी के लिए
कोई मासूम-हाथ
उसे घंटों बिना आराम
किए बना रहे थे।
“पतंग” तो समझती है,
जिसने उसकी
डोर पकड़ी हुई है
वही मालिक है
पर हकीकत यह नहीं !
वह मन है
हमें अपने को
छोड़ देना होगा
उस कटी पतंग की तरह
तब हमें उस आसरे का
पता लगेगा
जहां हमें हवाओं का
रुख ले जाएगा
अपनी मर्जी से,
जहां हमें ठहर जाना है।
“तुराज़”……✍️
Best way to live ,but the hardest to apply
You are right,only a “free kite” kind of
Soul can live in this way in this complex world of mind.
Thankyou ❤️❤️🙏