मैं नन्हाँ सा गुल हूं
(I am a Little Flower)
Hindi Poetry
मैं उस पेड़ का फूल नहीं
जिसमें मंद मंद मुस्कान नहीं
न झरे मधु, बिखरे गंध नहीं
न कुछ आभा, कुछ प्रकाश नहीं
जहां कली अधखिली ही दम तोड़े
मैं उस पेड़ का फूल नहीं
मैं तो नन्हां सा गुल हूं…….
उजड़े बागों में महक जगी
भौरें गुंजन, गुण-गान करें
अठखेलियां तितलियों की देखें
बच्चे दौड़ें, मुस्कान भरें,
मैं तो उस चमन का
नन्हां सा गुल हूं…..
मंद मंद मुस्काता हूं
शुभ अशुभ मैं मेरा खोजी
नोंच कर ले जाता है मुझको
उसको लगता ही होगा
इंसान हो या भगवान सब
खुश हो जाते हैं मुझसे
मैं तो उस चमन का
नन्हां सा गुल हूं……
सबको लगता ही है कि
कल मैं मुरझा जाऊंगा
मेरे मरने से पहले ही
मैं प्रिय में चड़ जाऊंगा
कुछ तो भला ही होगा उसका
जिसके अधर में
मैं खुशीयां महका जाऊंगा
मैं तो उस चमन का
नन्हां सा गुल हूं……
कोई खुश हो जाए
मुझसे मिलने से तो
मेरा जीवन धन्य हुआ
तुच्छ पुष्प (तुराज़) हूं, मुझको तो
मिट ही जाना है
मेरा क्या है?
मैं तो उस चमन का
नन्हां सा गुल हूं……
तुराज़….