खुशी और संतोष
“Happiness & Contentment”
(Hindi Poetry)
खुशी तो
बस खुशी होती है
कभी भी,
और कहीं भी होती है
न जेब में बंद
न कैद में किसी के
होती है, तो बस होती है।
क्या है,
क्या नहीं हाथ में
इसका उसको फर्क कहां
वह तो कंगाली में भी
हंसती है और खुश होती है।
सब अपेक्षाओं का
खेल है यहां
फसल बोई हो अगर और
फल न लगें
तो खुशी कहां होती है।
जिसको
न जीवन चाहिए
और न मौत यहां
न अपनों से अपेक्षा
और न भगवान से यहां
वह तो बस है, सिर्फ है
उसको इसी से
खुशी होती है।
“तुराज़”…..✍️
Khushi toh kushi hoti hai.!!💝💝👌👌
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