प्रयास
“Effort”
(Hindi Poetry)
मैं नन्हें-नन्हें डग भर
तुझ तक, आने की कोशिश कर
फिर-फिर गिर जाता हूं।
पता नहीं क्यों ?
फिर उठता हूं, डग भरता हूं,
चल पड़ता हूं
पर फिर – फिर
गिर जाता हूं।
क्या आकर्षण है तुझमें
मुझको नहीं पता !
क्या मिल जायेगा, इसकी भी
मुझको खबर क्या ?
पर कहीं दृष्टि -पटल पर,
चित्र तेरा बन जाता है,
जो बार – बार आंखों में आकर
याद तेरी दिलवाता है ।
फिर मैं नन्हें-नन्हें डग भर
तुझ तक, आने की कोशिश कर
फिर-फिर गिर जाता हूं ।
ना जाने कितनी लंबी डगर है,
मुझको इसकी माप नहीं,
ना याचना की जुबान
और ना कोई कर्म कहीं
कैसे निस्तारण होगा, नहीं पता !
पर अभिलाषा तो
जीवन जीने की भी है
और तुझमें मिट भी
जाना चाहता हूं
द्वंद बड़ा है जीवन का !
मन-तन, क्षत-विक्षत
हो जाता है,
पर मैं नन्हेें-नन्हे डग भर,
तुझ तक, आने की कोशिश कर
फिर-फिर गिर जाता हूं ।
पता नहीं क्यों ?
फिर उठता हूं, डग भरता हूं,
चल पड़ता हूं, पर
फिर-फिर गिर जाता हूं ।
“तुराज़”……✍️❤️
Lovely 👌🏻👌🏻
Beautiful words ,still trying trying till I succeed
बहुत खूब लिखा है
Thankyou🙏🙏❤️
Your encouragement always boost me up.
Thankyou so much, I love your appreciation and inclination towards hindi poem and literature.
Thanks again🙏🙏❤️❤️
Thanks Karan,❤️❤️
Love to see your attraction towards hindi literature. It gives me a driving force to write more.
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Try try but don’t cry…!!
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