ठंड
“Cold”
(Hindi Poetry)
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
अदरक-चाय मिलती रहे,
स्नैक्स-पकोड़ियां सजी रहें
मुंह चलते रहे,
रजाई यूं ही उड़ी रहे
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
मां की लताड़ हो
या बाप की दहाड़ हो
खटिया से तुम हिलो नहीं
तुम निडर डटो वहीं,
रजाई से उठो नहीं
कभी तुम झुको नहीं
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
मुंह गरजते रहे,
डंडे भी बरसते रहें
भाई-बहिन भड़क उठें,
बीबी-बच्चे कड़क उठें
चप्पल-जूते खड़क उठे
तुम कभी झुको नहीं
आसानी से उठो नहीं
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
प्रात हो कि रात हो,
संग हो न साथ हो
मालिक पर विश्वास हो
तुम कभी डरो नहीं
अकेले ही डठे रहो
प्रणय पर बने रहो
रजाई में घुसे रहो,
तुम वही डटे रहो
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
एक रजाई लिए हुए
एक प्रण किए हुए
अपने आराम के लिए,
सिर्फ आराम के लिए
सब-कुछ त्याग दो
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
कमरा ठंड से भरे,
कान गालीयों से भरे
यत्न कर निकाल लो,
ये समय भी निकाल लो
कठिन समय जरूर है
ये ठंड है, ये ठंड है,
यह बड़ी प्रचंड है
हवा भी चला रही,
धूप को डरा रही
पर तुम परम-वीर हो
तुम महा-वीर हो
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो।
“तुराज़”….✍️
😄😄 best are the winters
Thankyou,
It seems funny but facts of the season 😃😅, appreciated your prompt response
Regards
🙏🙏❤️
Very cold..!!👍👍
Thankyou dear Reader
In northern India Life is very tough now a days.
Regards 🙏❤️
🤣🤣
Thnx Karan
🙏🙏🌹