आलोचक : “Critics” ( Hindi Poetry)

आलोचक : “Critics” ( Hindi Poetry)

आलोचक

“Critics”

(Hindi Poetry)

 

आलोचक अगर
सच्चा आलोचक हो
तो जीवन बदल देता है
कहीं जीने की समझ
तो कहीं रिश्तों की समझ
कहीं खुद को बदलने की
समझ देता है
आलोचक अगर
सच्चा आलोचक हो तो
जीवन बदल देता है

आलोचक हो साथ में
तो समझो जैसे
अंधे को लाठी का सहारा
तुम कदम बढ़ाते हो कहीं
तो वह देता है सहारा
दुधारी तलवार सा
होता है आलोचक
कहीं अंध भक्तो को बचाता है
तो कहीं अंध भक्ति से बचाता है

आलोचक की आंख
चील सी होती है
वह वही देखता है
जहां कुछ लोचा होता है
वह आलोक भी है
और लोचन भी
तभी तो वह
ऐसा देखता है जो
हमें नहीं दिखता है
सच्चा आलोचक हो अगर
तो जीवन बदल देता है।

आलोचक साया सा है
साथ साथ रहता है और
होश जगाता है
कभी दिखता है और
कभी नहीं भी दिखता है
अगर मनन रहे आलोचक का
तो कुछ भी गलत नहीं होता है
आलोचक अगर सच्चा आलोचक हो
तो जीवन बदल देता है।

परमात्मा का रूप सा है आलोचक
सब जानता है, देखता है
पर सुधरने का
पूरा मौका देता है
बोलता तभी है जब
बोलने का मौका होता है
समाज,धर्म, संस्कृति
और राजनीति के हित में
बहुत जरूरी होता है
आलोचक अगर सच्चा आलोचक हो
तो जीवन बदल देता है।
तुराज़……✍️

 

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़