अंतिम याचना “Final Call” (Hindi Poetry) मैं तो अब, तेरे ही रथ में बैठा हूं क्या सही है, क्या गलत इसका मुझको कोई इल्म नहीं तू जहां भी हाँक ले, ...
अद्भुत “Amazing” (Hindi Poetry) इस नीले आसमान के नीचे इस धरती का एक कण हूं मैं पर कितना अद्भुत हूं मैं चारों तरफ फैली हुई इस बहुरंगी दुनियां का एक ...
ठंड “Cold” (Hindi Poetry) वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो अदरक-चाय मिलती रहे, स्नैक्स-पकोड़ियां सजी रहें मुंह चलते रहे, रजाई यूं ही उड़ी रहे वीर तुम अड़े ...
सरिता “River” (Hindi Poetry) देखता हूं तट पर खड़े सरिता को बनाते रास्ते बड़ रही सागर की तरफ कुछ पुण्य का भाव लिए सूखता तरुवर कहीं पर पुकार रहा हो ...