जीवन ऊर्जा एक है। “Life Force” (Spiritual Story)

जीवन ऊर्जा एक है। “Life Force” (Spiritual Story)

जीवन ऊर्जा एक है।

“Life Force”

(Spiritual Story)

 

यह हम सबके जीवन का अनुभव है कि यहां हर चीज के दो पहलू हैं जिसको द्वैत (duality) कहते हैं। पॉजिटिव नेगेटिव, Positive – Negative, लाइफ – डेथ, Life – Death, लव – हेट, Love – Hate, हेड  ट्रेल, Head – Trail, आदि। लेकिन इस Duality के पीछे एक जीवन ऊर्जा (Life Force) है जो इन दोनों से जुड़ी है और अलग भी है।

 

Head – Trail है मगर रुपया एक है। लाइफ – डेथ, (Life – Death) है मगर जीवन ऊर्जा Life Force) एक है। लव – हेट (Love – Hate) के पीछे वेदना, भावना ( Emotion) एक है। यहां सांप भी है और उसका जहर भी है। सांप के काटने से लोग मर भी रहे हैं और उसी के जहर से दवा भी बन रही है। क्योंकि जीवन ऊर्जा ( Life Force) एक है। व्यक्ति उस दवा को खाकर ठीक हो जाता है। उसका जीवन बदल जाता है। यह कायनात Totality में है जिसके पीछे एक जीवन ऊर्जा है।

 

यहां सब कुछ उस जीवन ऊर्जा (Life Force) से जुड़ा है। हम जिस चीज पर फोकस करेंगे वही दिखाई देने लग जाएगी। हम वैसा ही बनने लग जाएंगे। अगर फूल को देखेंगे तो फूल ही दिखेंगे। और अगर कांटो पर फोकस करेंगे तो काटें ही दिखाई देंगे।

 

जीवन ऊर्जा को बैलेंस किया जा सकता है। क्योंकि कुदरत खुद बैलेंस से चल रही है। जैसे ही जीवन ऊर्जा (Life Force) का बैलेंस बिगड़ता है तो  एक चीज से दूसरी चीज हावी हो जाती है। बेहतर यही है कि अपने होश (Awareness) को बढ़ाया जाए। उस जीवन ऊर्जा (Life Force) को पहचाना जाए जो सबके पीछे एक ही है।

हम यह दोनों पहलू आसानी से देख सकें और उसके परिणाम को भी जान पाएं।

 

हर कार्य का Equal or Opposite Reaction होता है। अगर आप पॉजिटिव (Positive) पर ध्यान देंगे तो जीवन ऊर्जा पॉजिटिव में दिखाई देने लगेगी। और नेगेटिव (Negative) पर ध्यान देंगे तो जीवन ऊर्जा ( Life Force) नेगेटिव में दिखाई देने लगेगी। 

 

हमारा ध्यान ही हमारे मन का भोजन है। उस मन में वैसे ही विचार उठने लगते हैं। जब वह विचार ताकतवर हो जाते हैं तो सारी जीवन ऊर्जा (Life Force) फिर मनुष्य की उसी तरह के कर्म करने पर लग जाती है। बेहतर है की पॉजिटिव सोच रखी जाए ताकि जीवन ऊर्जा पॉजिटिव कर्मों की तरफ़ लगे।

 

जिस और भी हम ध्यान देंगे हमें वही दिखाई देने लग जाएगा। जैसे दर्जी कपड़ा और सिलाई देखता है। मोची की नजर लोगों के जूतों पर होती है। शराबी शराब का विचार करता है। नशा करने वाला नशे का ही विचार करता रहता है। उसी तरह मनुष्य का विचार जिधर होगा वही फिर उसकी जीवन ऊर्जा उसी प्रवृत्ति में लग जाती है। और वह अपनी जीवन ऊर्जा को उसी तरह के कर्म करने में लगाता है।

 

उम्र के हर पड़ाव पर वही चीजें जीवन ऊर्जा के माध्यम से अलग अलग तरीके से दिखाई देती हैं। जैसे बच्चे को जितनी उसकी सोच है, समझ है उसे वैसा ही दिखाई देता है। जैसे-जैसे समझ बड़ती है वही चीजें अलग तरीके से दिखाई देने लगती हैं। बचपन में चिप्स, चॉकलेट, टॉफी बड़े होने पर उसको जंक फूड (Junk food) दिखाई देने लगता है। जवानी का भोजन बूढ़े को बहुत (Indigestable) अपाच्य दिखाई देता है।

 

जीवन ऊर्जा आज भी वही है। चीजें आज भी वही हैं बस हमारा देखने का तरीका बदल गया। हमारे जीवन जीने का ढंग बदल गया। हमारा शरीर और मन बदल गया। हमारी उम्र बदल गई। लेकिन इन सब के पीछे एक जीवन ऊर्जा है। जो इस अस्तित्व को चलायमान रखती है। वह जीवन ऊर्जा नहीं बदलती।

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़