एक नज़र, जो जीवन बदल दे : “A look that will change lives” (Story Special)

एक नज़र, जो जीवन बदल दे : “A look that will change lives” (Story Special)

एक नज़र जो जीवन बदल दे

A Look that will change Lives”

( Story Special)

 

रमेश और रेखा, जो की एक राज घराने के नव-दंपति थे। शादी के 2 साल बाद ही उनके घर में एक कन्या हुई। जिसका नाम उन्होंने “चित्रलेखा” रख दिया । और तीन साल बाद, लड़के की उम्मीद थी मगर एक और कन्या पैदा हुई। उसका नाम उन्होंने “सुलेखा” रख दिया। जब दोनों लड़कियां पड़ ही रही थी कि अचानक दिल का दौरा पड़ने से रमेश का देहांत हो गया और परिवार का सारा का सारा बोझ रेखा के उपर आ गया।
रेखा ने रमेश का कारोबार संभाल लिया । वह व्यापार में पूरा ध्यान देने लगी । उधर लड़कियां जवान हो रही थी उसकी चिंता भी बड़ने लगी।
बड़ी लड़की “चित्रलेखा” पढ़ने में भी और संसार के कामों में भी बहुत तेज थी । वहीं दूसरी बेटी सुलेखा का मन न तो पढ़ने में था और न ही संसार के कामों में लगता था।
एक दिन सर्दियों के समय में अचानक ही रेखा की तबियत बिगड़ गई और उनको अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। एक हफ्ते के बाद ही डॉक्टर ने बताया कि रेखा को फाइनल स्टेज का कैंसर है। तत्पश्चात कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गई।
चित्रलेखा और सुलेखा बचपन से ही एक दूसरे की कट्टर दुश्मन की तरह ही थी। उन्होंने आपस में न कभी कोई खेल खेला और न ही, एक ही स्कूल में पढ़ने के बाद भी वह कभी एक साथ स्कूल में रहीं।
मां की मृत्यु के बाद तो दोनों की आपस में बोलचाल भी बंद हो गई और एक ही घर में रहने पर भी चूल्हे अलग अलग हो गए। बड़ी बहिन चित्रलेखा की बीए की डिग्री आते ही नौकरी भी लग गई। उधर छोटी बहिन घर में ही रहती और अपने “माधो” से ही बातें करती रहती और रोती रहती।
जब सुलेखा 12 साल की थी तभी अपनी मां के साथ वह वृंदावन, “बांके बिहारी” जी के दर्शन को गई थी और वहीं से वह एक छोटे माधव जी की प्रतिमा लाई थी। तब से वह रोज़ सुबह उठकर उनको नहलाना, नए कपड़े पहनाना फिर भोग लगाना , उनको सुलाना, दिन भर एक छोटे बच्चे की तरह उनका ख्याल रखती थी।
मां की मृत्यु के बाद “माधो” ही उसका एक मात्र सहारा भी थे और बातचीत करने का एक माध्यम भी।
अब व्यापार का जिम्मा भी “सुलेखा” के ही सर पर आ गया। बड़ी बहिन ने अपना व्यापार का हिस्सा भी यह कह कर बेच दिया था कि वह सुलेखा का मुंह भी नहीं देखना चाहती और न ही कोई वास्ता रखना चाहती है।
सुलेखा को रात में घर आते-आते 12 बज जाते थे।
वह माधव को जहां भी जाती अपने साथ ही, एक अलग bag में आधी चेन खोल कर रखती थी।
एक बार रात में वह दुकान बंद करके घर आने के लिए ऑटो का इंतजार कर ही रही थी कि तभी एक बाइक में दो लोग आए और पास आते ही पीछे बैठे व्यक्ति ने सुलेखा के कंधे पर डाले पर्स पर झपट्टा मार लिया और छीन कर ले गए। उस बैग में उसकी दिन भर की दुकानदारी की कमाई भी थी और कुछ कागजात और कार्ड भी।
उस रात वह ऑटो करके घर तो पहुंच गई मगर बहुत डरी हुई थी। और बार बार अपने माधो से पूछती थी कि “तुमने मुझे बचाया क्यों नहीं ? तुम्हारे मेरे साथ होने का क्या फायदा ? अगर वह मुझे मार जाते तो क्या तब भी तुम ऐसे ही देखते रहते” ? और रोती रहती।
वह अगले दिन फिर, रोज के ही समय पर ही दुकान गई । वहां रोज़ की ही तरह बहुत सारे लोग खाना खाने आये थे। जब वह रात में दुकान बंद कर ही रही थी कि तभी नौकर ने कहा कि शायद कोई अपना बैग भूल गया है। सुलेखा ने जैसे ही देखा, उसे विश्वास ही नहीं हुआ! वह उसी का बैग था । और उसमें सारे पैसे भी वैसे ही थे और कागजात और कार्ड भी। उसमें एक पत्र भी था जिसमें लिखा था कि “भगवान मुझे माफ कर देना । अब मैं कभी ऐसा काम नहीं करूंगा। आपने मुझे बचा लिया इसके लिए आपको धन्यवाद और प्रणाम”।
उस पत्र में आगे लिखा था कि “जैसे ही मैंने आपका बैग छीना था, वह दूसरा बैग जिसकी आधी चेन खुली थी उसमें एक कृष्ण भगवान जी की मूर्ति थी
जिसकी आंख से मेरी आंख मिली थी। वह आंख की एक झलक मुझे पूरी रात आती रही । जो मुझे बार-बार कह रही थी कि अभी जा और बैग वापस करके आ।
मैं पूरी रात सो नहीं पाया और रोता रहा । जब मेरी बीबी ने इसका कारण पूछा तो मैंने उसे सब कुछ बता दिया और वायदा भी कर दिया कि वह आज से कभी यह काम नहीं करेगा। तभी मैंने सोचा था कि मैं खाना खाने के बहाने जाऊंगा और बैग छोड़ कर आ जाऊंगा। मेरी बीबी ने अपने भाई से बात कर के मेरी नौकरी का इंतजाम भी कर दिया है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपकी वजह से मेरी जिंदगी बदल गई। मैं एक दिन आपसे मिलने जरूर आऊंगा”।
सुलेखा ने जब यह पत्र पड़ा, वह अपने आंसू नहीं रोक पाई । और उसे माधव से की गई अपनी शिकायत पर बहुत खेद और अफसोस भी था और बहुत खुशी भी कि उसका माधो, उसका कितना ख्याल रखता है।
तुराज़……✍️

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़

4 comments

  1. Turaaz says:

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    With warm regards
    🙏🙏❤️

  2. Turaaz says:

    Thanks
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    With warm regards
    🙏🙏❤️