ध्यान ही असली पूजा है।
“Meditation is real Worship”
(Motivational Thoughts)
ध्यान मनुष्य की अनिवार्यता है एक अच्छे जीवन के लिए जिसमें मानसिक शांति हो, खुशी हो, सुख समृद्धि और आनंद हो।
ध्यान मनुष्य को जागृति देता है। ध्यान से ही अच्छे बुरे की पहचान होती है। एक अच्छा जीवन जिसमें नियम हैं, संयम है, सदाचरण है, सद्व्यवहार है वह सब ध्यान की ही देन है।
ध्यान जीवन जीने की शैली है जिससे मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है। सोचने समझने की पूर्ण क्षमता जाग्रत होती है। मनुष्य इस संसार में विचरता तो है मगर प्राणी मात्र के हित में काम करता है न कि अपने स्वार्थ के लिए किसी भी प्राणी को नुकसान पहुंचाता है।
हर मनुष्य की असली पूजा अपने प्रभु के लिए, जिसने उसको जीवन दिया और जीने का सब सामान दिया, वह ध्यान से ही शुरू होती है।
अपनी मांग को आगे रखना और उनकी पूर्ति के लिए किए गए तरह तरह की पूजा की प्रथाएं प्रचलित हैं मगर सच्ची पूजा और प्रार्थना में कोई मांग नहीं होती। वह तो अहोभाव से भरी हुई होती है।