आलस्य और ध्यान
“Laziness & Meditation”
(Motivational Thoughts)
आलस्य और ध्यान एक दूसरे के विरोधी हैं। काम के आधिक्य से शरीर तथा तमोगुण के आधिक्य से चित्त भारीपन का अनुभव करता है। शरीर और चित्त के भारी होने से समाधि में प्रगति नहीं होती। इसी का नाम आलस्य है।
प्रमाद और आलस्य मैं बहुत अंतर है। प्रमाद प्रायः अविवेक से उत्पन्न होता है। आलस्य में अववेक तो नहीं होता किंतु गरिष्ठ भोजन के सेवन से शरीर और चित्त भारी हो जाता है। यह भी योग साधना मार्ग में अंतराय कहलाता है।