पश्चाताप स्वतंत्र नहीं
“Remorse does not let free”
(बुद्ध के उपदेश)
बुद्ध कहते हैं – कोई भी बात यह सोच कर, यह समझ कर नहीं करनी चाहिए कि इसे कोई नहीं जानता। ऐसा सोच कर अल्प मात्र भी दुष्चरित नहीं करना चाहिए।
गोपनीय रूप से किए गए बुरे कर्मों का जब पता लगता है तो बहुत दुख और पीड़ा होती है। परंतु दूसरे के नहीं जानने पर भी सुचारित करना चाहिए।
गोपनीयता में किया गया अच्छा कर्म सुख ही देता है। और छिपाकर किया गया पाप कर्म पश्चाताप का कारण बनता है। किंतु सूचित करने से अपने द्वारा किए गए बुरे कृत्य को बता देने से प्रमोद बढ़ता है।
दूषित का न करना श्रेष्ठ है। क्योंकि बुरा कर्म करने के बाद पश्चाताप होता है। वह दुख देता है और पश्चाताप दुख से भी बड़ा दुख है।