“तुराज़” एक रहस्य
“Turaaz- You the Mystery”
(Hindi Poetry)
“तुराज़” है,
तो व्यक्त हो शब्द में,
कि मैं कह सकूं, पड़ सकूं
कि मैं लिख सकूं,
और सुन सकूं।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो, सोच में
खोज में, योग में
कि मैं, महसूस करूं
और अपने को जोड़ लूं।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो, गंध में
स्पर्श में, और स्वाद में
कि मैं अनुभूति को
व्यक्त कर सकूं शब्द में।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो, पुष्प में
मधु में, पराग में
कि मैं भी खिल सकूं
संग तेरे
सारे जहान में।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो, रूप में
रंग में, व्यवहार में
कि मैं निहार लूं
तुझे संवार लूं
अपने प्यार में।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो, संगीत में
गीत में, लय में और ताल में
कि मैं तुझे गा सकूं, बजा सकूं
सुन सकूं कान में।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो, फल-फूल में
अन्न, गेहूं और धान में,
रस और स्वाद में
कि मैं तुझे चख सकूं,
पी सकूं, प्यास में।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो परिधान में
कि मैं तुझे पहन सकूं
नाच सकूं, गा सकूं
शादी और त्यौहार में।
“तुराज़” है
तो व्यक्त हो, सुख-सामान में
कि मैं आनंद में जी सकूं
इस नश्वर संसार में।
“तुराज़”
तू व्यक्त ही है
जंगल, पहाड़,
बियां-बीरान में
हवा-पानी,
धरती औरआसमान में
“तुराज़” ही है
इस अस्तित्व की
हर आवाज में और
प्रकाश में।
“तुराज़”…..✍️
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