तुराज़ की शायरी -5 Turaaz ki Shayari (Hindi Poetry)

तुराज़ की शायरी -5 Turaaz ki Shayari (Hindi Poetry)

तुराज़ की शायरी -5

Turaaz ki Shayari”

(Hindi Poetry)

जिसने भी तन्हाई में
जीना सीख लिया,
उसी से रु – ब – रू
हुई है ज़िंदगी,
हकीकत तो यही है “तुराज़”
कि भीड़ में भी
तन्हा ही होता है “आदमी”….

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आपका होना ही अहम है हमारे लिए,
कम से कम एक दीया रोशन तो है।
अंधेरों से गुज़र कर आए हैं हम अब तलक
एहसास-ए-अहमियत से अब हम वाकिब
हुए हैं।

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पता नहीं कि
कौन मेरा हुआ या नहीं,
परखने का कोई रिश्ता
मैने कभी बनाया
ही नहीं


कल की परवाह उसे है
जिसको लौट कर आना है
मैंने तो आगे ही देखा है
हमेशा के लिए


                                            “तुराज़”….

 

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़