भगवान बुद्ध से प्रार्थना
“Prayer for the Lord Buddha”
(Turaaz Poetry)
सह सकूं
संयम से रह सकूं
अपने जीवन को
तुझ पर अर्पण कर सकूं
इतना आशीष दीजिए
कृपा कीजिए
कि मैं निभा सकूं
सह सकूं
दर्द इतना, टीस का
उठता हो तेरे बिछोह में
फड़फड़ाता सा हूं मैं
पंछी जैसे लगे बाण से
बस इतना आशीष दीजिए
कि मैं निभा सकूं
दीक्षित हूं
कृपा से तेरी
अब दान इतना दीजिए
कि सह सकूं
हर दुख को
तन में, मन में, प्राण में
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई
जिसको कह सकूं
अपनी व्यथा सभी
बस इतना आशीष दीजिए
कि मैं निभा सकूं
गुरु शिष्य के पावन
रिश्ते को संजो सकूं
राह कठिन है, कांटों भरी है
संसार में व्यथा बड़ी है
दुख आर्य सत्य की
अभी मुझे समझ भी नहीं है
सुख मिलेगा
कभी तो मिलेगा
आज नहीं तो
कल तो मिलेगा
यही समझ कर उलझता रहा हूं
बार बार मैं फंसता रहा हूं
जो भी करता हूं
सुख की तलाश में
वही मेरे महा दुख का
कारण बना है
अब शरण में
मैं तेरे पड़ा हूं
मुझे उबार लो
मुझे संभाल लो
आशीष दो कि मैं
ध्यान कर सकूं
स्मृति, समाधि में
उतर सकूं
स्थिति प्रज्ञ हो
निर्वाण में स्थित हो सकूं
जब भी मरूं
महापरिनिर्वाण में ठहर सकूं
सह सकूं
संयम से रह सकूं
अपने जीवन को
तुझ पर अर्पण कर सकूं
इतना आशीष दीजिए
कृपा कीजिए
कि मैं निभा सकूं
इस भव सागर से
निर्वत्त हो सकूं….