“चांद” पर तुराज़ की कविता
“Poetry on Moon”
(Hindi Poetry)
कोई चांद पर नजर रखता है
कोई नजर चुराता है
और एक शायर है
जो चांद पर ही
लिखता है, पर
सब अनकहा ही
रह जाता है..
रचनाकार ही
कुछ ऐसा है
सब कुछ बनाता है
पर बताता नहीं
जताता भी नहीं
तुराज़…
“Poetry on Moon”
(Hindi Poetry)
कोई चांद पर नजर रखता है
कोई नजर चुराता है
और एक शायर है
जो चांद पर ही
लिखता है, पर
सब अनकहा ही
रह जाता है..
रचनाकार ही
कुछ ऐसा है
सब कुछ बनाता है
पर बताता नहीं
जताता भी नहीं
तुराज़…