कलम का करिश्मा
“Charisma of a Pen”
(Hindi Poetry)
“कलम” निर्बंध है और
ध्यानस्त भी
“कलम” ब्रह्मचारी नहीं है
और न शाकाहारी ही
“कलम” संयमी भी नहीं
न परहेज़ है “कलम” को,
“कलम” तो मेरे “माधो” सी है
प्यार भी असीम करती है , और
महाभारत से भी परहेज नहीं “कलम”को
“तुराज़” ने कई बार
“मृत्यु – दंड” देकर
खुद भी मिटते हुए
देखा है “कलम” को
वह कलम है, निर्बंध भी और
ध्यानस्त भी…..
बेवाक लिखती है “कलम”
देश और विदेश के फसानों को
समाज में पर्दे के आगे
और पीछे के कारनामों को
सत्ता – भोगियों की अच्छी और
काली करतूतों को
कोई अपना और
गैर नहीं “कलम” का
“कलम” उस घर में भी घुस जाती है
जहां पति शराब पीकर
उत्पात मचाता है और
“कलम” वहां भी प्रकट है जहां
किसी बच्चे ने प्रतिभा से
आज आसमान को छुआ है
उस घर में भी जहां कत्ल हुआ और
“कलम” वहां भी जहां बलात्कार हुआ
वह “कलम” है, निर्बंध भी
और ध्यानस्त भी
“परमात्मा” की दूत है
“कलम” और उसकी स्याही शायद !
जहां पड़ गई,
उसका विरोध हो गया
जो लिख दिया वह
अमिट हो गया
कागज भी कुर्बानी देता है अपनी
चोली – दामन का
साथ निभाकर
जब कुछ शब्द
लिख जाते हैं “कलम” से
किसी का भविष्य बनता है और
किसी का मिट जाता है
जन्म भी “कलम” से लिखता है
और मृत्यु भी लिख जाती है
परिणय सूत्र भी “कलम” से
और फिर तलाक भी लिख जाता है
रिश्ते भी बनते हैं और
मिट भी जाते हैं “कलम” से
तटस्थ है कलम “श्री कृष्ण” सी
क्योंकि निर्बंध है और
ध्यानस्त भी
“तुराज़”…..✍️
Very nice 👌👍
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