गुरु गोविंद है प्रकाश है। “Guru Almighty Guru Light” (Hindi Poetry)

गुरु गोविंद है प्रकाश है। “Guru Almighty Guru Light” (Hindi Poetry)

गुरु गोविंद है गुरु प्रकाश है

“Guru Almighty Guru Light”

 

(Hindi Poetry)

गुरु गोविंद

गुरु प्रकाश रूप में

आकर उजियारा

करता है घट में

 

 

गुरु आवाज बनकर

“सत” समझाता है

घट में

 

 

गुरु दया और करुणा

का सागर बन

दुख मुक्त कर जाता है

गुरु बिना पूरी दुनिया में

अंधियारा ही रह जाता है

 

 

गुरु मिलाता है घट में

मालिक को

जो समस्त जगत का

पालनहारा है

 

 

गुरु बिन अज्ञान

कभी नहीं जाता

गुरु प्रकाश ही

सहारा है

 

 

गुरु बिन जीवन

ज्यों प्यासा नीर बिन

तड़प तड़प

मर जाता है

 

 

जीवन के इस

भव बंधन में

गुरु ही एक

खिवय्या है

 

 

तारनहारा जगत का “सतगुरु”

जो समझे, माने,

अमल करे

गुरु ज्ञान ही

मुक्ति कराता है

 

 

गुरु प्रकाश ही

जगत अंधेरे में

एक मात्र सहारा है

 

 

नवजीवन की

पुकार उठे जब घट में

तब गुरु ज्योति

जले पावन अंतर में

तब मिटता अंधियारा है

 

 

गुरु ही ज्ञान कराता

गुरु ही भव से मुक्ति दिलाता

गुरु बिन कहां

भव छुटकारा है

 

 

गुरु गोविंद

गुरु प्रकाश रूप में

आकर उजियारा

करता है घट में

                           वही तारण हारा है।

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़