Hindi Poetry बूढ़े मन की पीड़ा “Agony of a Older Brain” (Hindi Poetry) बूढ़े मन की पीड़ा “Agony of a Older Brain” (Hindi Poetry) विरह बड़ी है तट पर हूं आज क्षत विक्षत पड़ा मैं भव-सागर की लहरों से आहत, बहुत गोते मारे ... by Turaaz • 08 Aug, 2022