अनित्य जगत
“Temporary world”
(Spiritual Thoughts)
जिस व्यक्ति ने भी ध्यान का रस लिया उसी ने अपने मन को भी पहचाना। और वही मन की डराने वाली, बहकाने वाली प्रवृत्तियों से भी मुक्त होकर शांत और सुखी जीवन जीता है।
यह संसार अनित्य है पल-पल बदल रहा है। और यहां घटनाएं हर पल बदल रही हैं।
एक व्यक्ति बहुत खुश था। अपने घर में बड़े नोट रखकर। लेकिन अगले ही पल सरकार कोई आदेश जारी करती है वह चिंतित हो जाता है। दुखी हो जाता है। परेशान हो जाता है।
ऐसा ही संसार है यह। इसकी कोई असलियत नहीं। जो ध्यान नहीं करता। उसका मन उसे परेशान और चिंता में डालता जाता है। और वह इस दुख सुख से ऊपर नहीं उठ पाता। अनित्य और नश्वर संसार को समझ नहीं पाता।