मन की शांति का सूत्र : Formula For Peace Of Mind – Part 3

मन की शांति का सूत्र : Formula For Peace Of Mind – Part 3

पिछले लेख में Formula for peace of mind – Part 2, हमने इस बात को विस्तार से समझा कि मन किस प्रकार से अपने होश को खो चुका है और इस वजह से हम अपने आप से ही कितने दूर हो चुके हैं और एक सोयी-सोयी सी जिंदगी, दुख और मुसीबतों से भरी, को जी रहे हैं। धीरे-धीरे इस एहसास से भी बेखबर हो चुके हैं कि कोई बेहतर जिंदगी हो भी सकती है जिसका बाहरी दुनिया से कोई सरोकार नहीं है बल्कि हमारे अंदर उस परम होश से है जिसके जगने से हमारे दुख स्वतः ही दूर हो जाते हैं क्योंकि लगभग सारे ही दुख और परेशानियाँ मन के बेहोश होने के कारण हैं।

मन को शांत रखने की विधियां ( Techniques for Peaceful Mind)-:

अब हम कुछ उन विधियों की चर्चा करते हैं जिनको अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने से हमें ध्यानपूर्वक, होशपूर्वक (awareful) जीने में बहुत मदद मिल सकती है।
क्योंकि हमने अपने दैनिक-चर्याओं को इस तरह संलग्न कर लिया है अनावश्यक कार्य-कलापों से, चीजों, वस्तुओं से, इसलिए शुरू में आपको दिक्कतें जरूर आएंगी क्योंकि ऐसी association हम बना चुके हैं। लेकिन क्योंकि ये ध्यान (meditation) की तरफ बड़ने का प्रथम ओर अनिवार्य कदम है इसलिए इससे गुजरना ही होगा। आइए देखते हैं कि हमें कैसे शुरुआत करनी है एक होशपूर्वक जीवन जीने की ।
 
निरन्तर याद ( Constant Remembrance)
  •  याद (remembrance) पहला बहुत ही जरूरी सूत्र है। आपने महसूस किया होगा, या अब करेंगे अभ्यास के दौरान,  कि हम जो भी काम करते हैं हमें उसकी याद नहीं बनी रहती। थोड़ा सोचें, आप कुर्सी पर बैठे हैं फिर उठकर बाथरूम की तरफ जाते हैं तो क्या आपको पक्का याद रहता है कि आप कुर्शी से उठ रहे हो, अब आपने पहला कदम बढ़ाया, आप देख रहे हो अपने को कि आप बाथरूम की तरफ जा रहे हो, जैसे कि आप किसी ओर को देखते हो चलते हुए। अब आपको ख्याल आएगा कि आपको याद ही नहीं है बस एक मशीन की तरह स्वतः ही(auto pilot mode) आप सब कुछ कर लेते हैं, लेकिन यादाश्त से नहीं। बुद्ध का एक बहुत ही प्रशिद्ध वाकया है कि एक बार वो अपने शिष्य आनंद के साथ थे तभी एक मक्खी उनके गाल पर आकर बैठी और उन्होंने हाथ से उसको उड़ा दिया, लेकिन बुद्ध ने दुबारा उसी तरह हाथ उठाया और फिर उसी तरह मक्खी को उड़ाया, मगर आनंद ये देख रहा था उसने तुरंत पूछ लिया कि मक्खी तो पहले ही उड़ चुकी थी पर आपने दुबारा से रिपीट क्यों किया ? बुद्ध ने कहा कि आनंद पहली बार मैंने मक्खी तो उड़ाई मगर मेरा पूरा होश नहीं था उड़ाते समय, जब मुझे ख्याल आया कि मैंने तो सोये-सोये , बेहोशी में , मशीन की तरह ये काम किया तो अब फिर मैंने उसे पूरी याद संभाल के रिपीट किया, अब मुझे पूरा याद है कि मैंने जहां मक्खी बैठी थी ,उसे वैसे ही उड़ाया है। ये कहानी बहुत अद्भुत है और जीवन बदलने के लिए काफी है। तो अब से आप जो भी करें छोटा से छोटा काम, चाहे पानी पीने का ही हो, बर्तन धोने का हो, सुबह ब्रश करने का हो, जो भी हो, उसको करते हुए आपकी याद बनी रहे। ये बहुत मुश्किल है , शायद ही एक मिनट आप अपने को देख पाएं आपका mind आपको कहीं और ले जाएगा और फिर आप मशीन की ही तरह उस काम को करने लगोगे। हमें इसी तरह काम करने की बचपन से आदत हो चुकी है इसलिए शुरू में बहुत मुश्किल होगी लेकिन बार-बार जब याद आ जाये फिर से शुरू कर दें इसी को कृष्ण ने स्थिति-प्रज्ञ अवस्था कहा, कि आप जहां हैं आपको एहसास है यादास्त है, यही द्रष्टा की अवस्था है कि में देख रहा हूँ जो भी हो रहा है।
  • ऊपर बताये अनुसार चलने के लिए आपको एक समय में एक ही काम करना होगा(multitasking) कई काम एक साथ नहीं करने हैं।
  • कोई भी काम जल्दबाजी (hastyness) में नहीं करना। एक लंम्बी साँस लेकर याद बनाते हुए, धीरे-धीरे काम को करें। जिस तरह बहते पानी में चेहरा नहीं देखा जा सकता उसी तरह जल्दबाजी से किये काम में होश नहीं बना रह सकता।
  •  अपनी पूरी दिन-चर्या में से कुछ समय अपने लिए निकालना होगा और अगर ये रोज़ एक ही वक़्त हो तो बहुत अच्छा, और सुबह-सुबह हो तो बहुत ही अच्छा है। क्योंकि आप रात-भर की नींद से पूरी तरह शरीर और मन से शांत और  तरो-ताज़ा होते हैं और आसानी से अपनी किसी भी उस समय चल रही गतिविधियों को होशपुर्वक देख सकते हैं।
  •  नेचर के साथ सुबह का समय बिताएं, मॉर्निंग वॉक पर जाएं और अपने को चलते हुए देखने की प्रैक्टिस करें। स्लो-वॉक करें, एक्साइज स्लो करें, अपनी हर मूवमेंट को होशपूर्वक महशुश करें। बार-बार आपका माइंड डाइवर्ट हो जाएगा उसे बार-बार वापस लाएं। एक बहुत ही जरूरी बात, कभी भी कानों में हैंड्स फ्री या कोई भी म्यूजिक न चलाएं, अपने आपको बिल्कुल खाली रखें, बहुत जरूरी न हो तो मोबाइल को भी न ले जाएं। हम इन ग़ज़जेट्स के गुलाम हो चुके हैं आज, ओर यही हमारे बेहोशी का बहुत बड़ा कारण है। नेचुरल म्यूजिक सुनें, हवा के झोंके आपके कानों में महशुश हो रहे होंगे उनका एहसास करें । birds song s को ध्यान से सुनें। मतलब की अपने को प्रक्रति से जोडें। कोशिश करें कि आप अकेले हों ताकि आपका ध्यान किसी से बातों में न लगे। आपको पता होगा कि जब भी आप किसी से बात करते हैं आप अपने से बहुत दूर हो जाते हैं।
  •  जब भी याद आ जाये अपनी पूरे दिन में, एक गहरी साँस लें और कुछ समय अपनी आती जाती साँस को देखते रहें , सिर्फ द्रष्टा की तरह।
  • आज हम मोबाइल के गुलाम हो चुके हैं। बार-बार आपका मन मोबाइल को देखेगा, message देखेगा, इस पर ध्यान रखें। मोबाइल को अगर बहुत जरूरी नहीं है तो दूर ही रखें। आपने नोटिस किया होगा कि आपको पता ही नहीं चलता कि कैसे टाइम बीत जाता है जब आप किसी के msg देख रहे हैं या यूट्यूब, फेसबुक को देख रहे हैं, और कितनी बेहोशी हमारी बढ़ रही है। इसलिए इस बात पर विशेष ध्यान दें नहीं तो आप कभी भी, जो होश जगाना चाह रहे हो , उस पर सफलता नहीं पा सकते, क्योंकि ये दोनों ही विरोधी बातें हैं।
  •  उन लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं जो आपको इस मार्ग में चलने में सहायक हैं क्योंकि मन संगत का असर बहुत जल्दी लेता है।
  • अपने आपको ज्यादा से ज्यादा समय खाली रखने की करें ताकि आप अपने अंदर चल रही बात-चीत पर ध्यान दे पाएं, क्योंकि मन हमेशा कुछ न कुछ भूत ओर भविष्य की बातें, प्लानिंग करता रहता है, ओर आप इसके साथ बेहोशी में चलते रहते हैं । इस पर नजर रखें और जब भी याद आ जाये अपने से पूछें कि मैं क्या कर रहा हूँ? अभी मैं कहाँ हूँ? मेरी होश की प्रैक्टिस चल रही है? मैं अपने आस-पास से aware हूँ? मैं अभी क्या कर रहा हूँ? इसी तरह बार-बार इसको वापस लेकर आएं वर्तमान में।
इन सभी ऊपर बताई गई बातों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने से ही आप आगे की यात्रा कर पाएंगे। इसको करना ही होगा, नहीं तो सिर्फ पढ़ने से आपके पास नॉलेज तो हो जाएगी लेकिन आपका जीवन नहीं बदलेगा। आप जिस बेहोशी से ऊपर उठना चाहते हैं , अपने रोज़-मर्रा के बेबजह के दुखों से मुक्त होना चाहते हैं तो आपको इनको अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा, गहन, लगातार प्रैक्टिस करनी होगी।
ये होशपुर्वक जीवन जीने का प्राथमिक चरण है, जिसको बेबी स्टेप भी कहा जा सकता है।
आने वाले दिनों में हम इस पर और भी चर्चा करेंगे।
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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़