ओवरथिंकिंग से बचें! “Avoid Overthinking” (Story)

ओवरथिंकिंग से बचें! “Avoid Overthinking” (Story)

ओवरथिंकिंग से बचें

“Avoid Overthinking”

(Story Special)

 

ध्यान साधना एक वरदान है उन लोगों के लिए जिन्होंने अपने जीवन को उत्थान की तरफ ले जाना है। जिन्होंने भरसक प्रयास करने का और अपने मन को मुक्त करने का संकल्प लिया है। दुनिया में वह व्यक्ति सबसे अधिक खुश रहता है जो विचारों से मुक्त है। जिसका मन शांत है। और जिसने अपने मन के ऊपर ध्यान लगाया और अपने को मन में उठ रहे असंख्य विचारों (Overthinking) से मुक्त कर लिया है। दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो सबसे अधिक दुखी हैं। परेशान हैं और तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। मगर मानसिक शांति नहीं मिलती। कारण सिर्फ एक है की जिसके पास जितनी आशाएं हैं। तृष्णाएं हैं संसार को पा लेने की, उसकी उतनी दौड़ है बाहर संसार में। और अंदर असंख्य विचारों का जमघट है, (Overthinking) जो उसको दौड़ाए चला जाता है और वह ओवरथिंकिंग का शिकार हो जाता है।

जो व्यक्ति जितना अधिक सोचता है (Overthinking) करता है वह उतना ही दुखी हो जाता है। दुनिया में आज ऐसे लोगों की संख्या बहुत बढ़ गई है जिनकी नींद कम हो गई है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी इसका शिकार होते चले जा रहे हैं। कारण सिर्फ एक है कि अपने अंदर उठ रहे असंख्य विचारों का वेग उनको भगाए चला जाता है। और सोचते-सोचते वह अपने विचारों में खोता चला जाता है और उसकी नींद कम होती चली जाती है। मन दौड़ता चला जाता है।

ओवरथिंकिंग (Overthinking) उसको पागलपन की हद तक ले जाती है। परिणाम इसके बहुत भयावह हैं क्योंकि ऐसा व्यक्ति अब समाज से कटता चला जाता है। कोई उसके नजदीक नहीं आना चाहता। बात नहीं करना चाहता। कारण यह है कि वह सोचते-सोचते विचारों में इतना खो जाता है कि कब वह क्या बोल जाएगा। क्या कह जाएगा। क्या कर जाएगा। उसको ख्याल ही नहीं रहता। यह सब ओवरथिंकिंग (Overthinking) का परिणाम है। जरूरत से ज्यादा सोचना और पूरे दिन उन विचारों को दोहराते रहना और उन पर रिलीव करना ही ओवरथिंकिंग (Overthinking) है और एक बहुत बड़ा दुख का कारण बनता है। ऐसे व्यक्ति को उसकी सोचने की आदत को तोड़ना उसके विचारों की चैन को तोड़ना एक चैलेंजिंग टास्क है।

यह काम ध्यान से ही हो सकता है मगर क्योंकि विचारों का वेग इतना ज्यादा है कि जब तक वह आंख बंद कर पाता है या अपने को शांत रखने की कोशिश करता है। उसको पता ही नहीं चलता कि वह कितनी बड़ी विचारों की लहरों का सामना कर रहा है। ओवरथिंकिंग (Overthinking) की वजह से यह काम बहुत मुश्किल हो जाता है कि वह ध्यान में बैठ भी सके। इसलिए हर व्यक्ति की समस्या एक ही है। शिकायत एक ही है कि ध्यान में बैठ नहीं पाते। ध्यान नहीं लगता। कारण यही है कि जिसके पास जितनी अधिक विचारों की श्रंखला है Overthinking है। उसके लिए ध्यान उतना ही मुश्किल है। हालांकि एक हद तक तो हर व्यक्ति ही विचारों में उलझा हुआ है। मगर जो व्यक्ति जरूरत से ज्यादा अपने विचारों में उलझ गया है उसके लिए ध्यान बहुत ही मुश्किल बात हो जाती है।

ओवरथिंकिंग एक बहुत भयानक रोग है इसके परिणाम भयावह हैं। क्योंकि आदमी विचारों में उलझता जाता है, और एक स्थिति ऐसी आ जाती है कि वह अपनी सुध बुध ही खो बैठता है। क्या खाना है? कब खाना है?, क्या पहनना है?, कितना पहनना है?, कहां बोलना है?, कहां चुप रहना है?, उसे ख्याल ही नहीं रहता। उसके हाथ पांव अपने आप चलने लगते हैं।
वह मुंह से अपने आप बड़बड़ाने लगता है। अपने विचारों के चलते (Overthinking) वह अपने से ही बातें करते रहता है। धीरे-धीरे वह अपनी इस ताकत को खो देता है जो मन को कंट्रोल करती है। जो दृष्टा है। जहां व्यक्ति का अपने ऊपर नियंत्रण रहता है। वह नियंत्रण टूट जाता है। विचारों की ताकत से, वेग से, (Overthinking) फ्लो से उसका अपने मन पर से, दिमाग पर से, नियंत्रण हट जाता है। ऐसे व्यक्ति के लिए अब वापस ही बहुत मुश्किल हो जाती है।

तभी तो जब ऐसा व्यक्ति जो बहुत सोचता है। ओवरथिंकिंग (Overthinking) करता है तो डॉक्टर उसके दिमाग को शांत करने के लिए दवा देते हैं। उसे नींद में ले जाने का इंतजाम करते हैं क्योंकि अगर उसको नींद आ जाए तो उसका कॉन्शियस माइंड (Conscious mind) जोकि ओवर थिंकिंग (Overthinking) कर रहा है वह शांत हो जाए। नींद नहीं आना ठीक नहीं है। इसका मतलब यही है कि मन बहुत तेज चल रहा है। विचार अनियंत्रित होने लगे हैं। ओवरथिंकिंग मन विचारों से बहुत इंगेज है। ऐसे व्यक्ति का कहीं भी एक जगह पर मन नहीं लगता। किसी काम में मन नहीं लगता। इसको हम फ्रिस्किंग माइंड (Frisking mind) कहते हैं।

किसी काम में मन न लगने वाली घटना से उसका अपने दैनिक कामकाज पर असर पड़ने लगता है। वह पढ़ाई नहीं कर पाता है और नहीं अपना अन्य रोज का काम कर पाता है। उसकी परफॉर्मेंस गिर जाती है। नतीजा अगर वह स्टूडेंट है तो उसका रिजल्ट ठीक नहीं रहता। अगर वह घर में रहता है तो किसी भी काम को पूरा नहीं करता। अगर वह जॉब करता है तो वहां भी आधा अधूरा काम करता है। इस वजह से ऑफिस से भी उसकी टेंशन बढ़ने लगती है। यानी हर जगह से उसकी लापरवाही और सुस्ती से लोग परेशान होने लगते हैं। वह short-tempered हो जाता है। बात बात में गुस्सा करना, कुछ भी बोल देना, व्यवहार ठीक से नहीं करना, उसको अकेले रहने पर मजबूर कर देता है।

धीरे-धीरे वह व्यक्ति समाज से दूर होता चला जाता है। कोई उसका संग साथ नहीं देता और वह डिप्रेशन और अकेलेपन का शिकार हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है कि वह डॉक्टर की सलाह ले। और जैसे ही उसको थोड़ा बहुत फायदा हो, दवा से, वह अपने को योग से जोड़ कर रखे। ऐसे व्यक्तियों के लिए सारे अस्पतालों में योगा केंद्र बनाए गए हैं। वहां जाकर योग करें। और जैसे-जैसे उसकी रिकवरी होती है तो ध्यान की साधना करें।

किसी ऐसे गुरु की तलाश करें जो उसे ध्यान साधना में मदद करें। एकदम से सीधे ऐसे व्यक्ति से ध्यान नहीं होगा क्योंकि वह व्यक्ति साधारण विचारों की प्रक्रिया से (Overthinking) असाधारण विचारों के जमघट में उलझ गया है। ओवरथिंकिंग में चला गया है उसको ध्यान से पहले रेचन करना होगा। जिसको कथार्सिस कहते हैं। और यह कथार्सिस उसके विचारों की चैन को तोड़ेगी। तब धीरे-धीरे वह अपनी साधारण अवस्था में आ आएगा। मगर इसमें एक और खतरा बना ही रहता है कि व्यक्ति कभी भी विचारों के बहाव में चला (Overthinking) जाता है। उसे अपने आप को व्यस्त रखना होगा। मुश्किल है। क्योंकि उसका कहीं मन नहीं ठहरता।

उसे अपनी मनपसंद क्रिएटिविटी को करना होगा ताकि वह अपने विचारों की चैन को तोड़े। पेंटिंग, स्पोर्ट्स, योगा, मेडिटेशन, ट्रैवलिंग, बुक रीडिंग, और कोई हॉबी को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना होगा। विपस्सना ध्यान रोज-रोज करना होगा। इसीलिए ऊपर की ओवरथिंकिंग पर की गई बातों से यह विचार करना होगा कि हम जिस आधुनिक दौड़ में अपने मन को दौड़ा रहे हैं उसकी स्पीड पर कंट्रोल भी जरूरी है। नहीं तो जो अनावश्यक विचारों (Overthinking) को हम ट्रिगर कर रहे हैं इन सोशल मीडिया के माध्यम से, टेक्नोलॉजी के माध्यम से। इसके परिणाम बहुत गंभीर हैं।

मजे की बात यह है कि शरीर पर लगा घाव दवा से भर जाएगा मगर मन पर लगा विचारों का घाव (Overthinking) नहीं भरता। यह बहुत दुखदाई है। मन का अनियंत्रित हो जाना बहुत बड़ा आघात है। हमें जरूर विचार करना चाहिए

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़