श्रद्धा और विश्वास
“Faith & Believe”
(Spiritual Thoughts)
रिश्तों में पवित्रता बनी रहे। श्रद्धा और विश्वास बना रहे। इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम एक दूसरे के विचारों की कद्र करें। अंधविश्वास से भी बचना जरूरी है।
मगर जब अनुभव होने लगता है तब व्यक्ति का विश्वास रूपी बीज जड़ें पकड़ता है। वृक्ष का आकार लेने लगता है। मगर विश्वास अनुभव तक पहुंचने में वक्त लेता है। जैसे गुरु और शिष्य का विश्वास दृढ़ होता है।
जब शिष्य गुरु पर श्रद्धा और विश्वास करते हुए गुरु के बताए हुए मार्ग का पूरी निष्ठा और लगन से परिश्रम करता है। ध्यान साधना में लीन हो जाता है।
जब उसे ध्यान के अनुभव होते हैं तब उसकी गुरु के प्रति श्रद्धा अखंड हो जाती है। यही हर रिश्ते में होता है। हमें अनुभव तक इंतजार करना होगा। मेहनत करनी होगी। भरोसा रखना होगा।