संकल्प शक्ति और मन “Will Power” (Motivational Thoughts)

संकल्प शक्ति और मन “Will Power” (Motivational Thoughts)

संकल्प शक्ति और मन

“Will Power”

(Motivational Thoughts)

 

मनुष्य की इच्छाएं और महत्वाकांक्षा ही उसे दुर्बल बना देती है और सांसारिक महान भी। मगर जीवन के अंत अंत तक वह उन कारणों तक नहीं पहुंच पाता जो उसे इनसे ऊपर भी उठा सकती थी।

जब तक मनुष्य आध्यात्म के रहस्यों को समझने में कामयाब नहीं होता और जब तक उसे शरीर और मन से बाहर निकालने वाला रहबर नहीं मिलता जो कि भगवान की कृपा और दया से ही होता है मगर उसका उस कृपा और दया के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक होता है ।

अपनी तरफ से लगातार प्रयत्नशील रहना और अपने आप को दीन बनाकर रखना ही भगवान की कृपा और दया के लिए तैयार करना है।

मगर जब इंसान सांसारिक इच्छाओं को प्राप्त करता जाता है उसके अंदर एक अहम और मैं मेरी का पर्दा बढ़ता जाता है जिसके कारण धीरे धीरे वह भगवान की कृपा और दया के प्रति उदासीन हो जाता है।

अगर मनुष्य अपने अहंकार को, इगो को समझ कर अपने को प्रभु के आगे दीन बनाकर रख सके और समस्त उपलब्धियों को भगवान का प्रसाद समझकर इस्तेमाल कर सके तो वह अपने अहम भाव से ऊपर उठ जाता है और तभी उसके ऊपर भगवत कृपा के, दया के वह हाथ उठने लगते हैं जो उसे इन समस्त सांसारिक इच्छाओं और कामनाओं से मुक्त कर देते हैं।

इसलिए मनुष्य को अपनी समस्त सांसारिक उपलब्धियों को भगवान के चरणों में समर्पित करके ही जीवन बिताना चाहिए जो उस भव चक्र से मुक्ति का कारण भी बन जाता है।

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़