बुद्ध का मार्ग “The Way of The Buddha” (Motivational Thoughts)

बुद्ध का मार्ग “The Way of The Buddha” (Motivational Thoughts)

बुद्ध का मार्ग

“The Way of The Buddha”

(Motivational Thoughts)

 

बुद्ध कहते हैं संसार में दुख है और यह आर्य सत्य है। दुख का समुदय है कारण है। दुख का निरोध किया जा सकता है। दुख निरोध का उपाय है “दुख निरोध गामिनी प्रतिपदा”। जिसे बुद्ध ने आर्य अष्टांगिक मार्ग कहा।

आर्य अष्टांगिक मार्ग के तीन स्तंभ हैं। पहला शील, दूसरा प्रज्ञा, तीसरा समाधि।

कोई भी व्यक्ति इन तीनों अंगों की पालना करके ही सत्य के मार्ग पर बुद्ध के मार्ग पर चल सकता है। शील के अंग में उसे सम्यक वाक्, सम्यक कर्मान्त, सम्यक आजीविका का पालन करना होता है। जैसे कितना बोलना है।  क्या बोलना है। और कहां ज्यादा बोलना है और कहां नहीं बोलना है । इसी प्रकार प्रज्ञा के अंतर्गत उसे सम्यक दृष्टि और सम्यक संकल्प को साधना होता है। और समाधि के अंतर्गत उसे सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि को साधना होता है।

इस तरह से एक व्यक्ति निरंतर प्रयत्नशील हो, उद्यमी हो आर्य अष्टांगिक मार्ग को साध लेता है और बुद्ध के मार्ग को अपनाकर दुख मुक्त हो जाता है।

Spread the love!

"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़