बुद्ध वचन “संयम”
“Buddh Vachan”
(Motivational Thoughts)
बुद्ध वचन हैं कि रूप, शब्द, रस, गंध, और स्पर्श से इंद्रियों की रक्षा करो। इन द्वारों के खुला होने पर साधक डाकुओं द्वारा लूटे हुए गांव की तरह नष्ट हो जाता है।
बुद्ध बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहते हैं कि मनुष्य के शरीर में पांच इंद्रियां सक्रिय हैं जो बाहर जगत के भोग पदार्थों की तरफ दौड़ती हैं। जो मनुष्य बेहोश है, प्रमाद में है वह इनकी दौड़ को नहीं देख पाता और इनके द्वारा की गई कार गुजारी के परिणाम भोगता है जो हमेशा ही उसे क्षण भर के सुख के बाद गहरे दुख में धकेल देते हैं।
मनुष्य को इन पांच इंद्रियों पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है जो कि एक साधक के लिए अनिवार्य है क्योंकि बिना इन पर नियंत्रण किए उसकी साधना पूरी नहीं हो सकती।
ध्यान ही एक मात्र औषधि है जो नित्य नित्य करने से इन इंद्रियों पर नियंत्रण पाने में सफल हो सकता है। ध्यान की विधि किसी पूर्ण गुरु से लेकर ही रोज रोज अभ्यास करना चाहिए। दूसरी महत्वपूर्ण बात है शील और सदाचार से ही संयम आता है इसलिए शील के नियमों का पालन करना बहुत अनिवार्य है।