स्वभाव से ही मनुष्य बनता है
Be a good Human being
(Motivational Thoughts)
जो अपनी खोज में निकला अपने को समझने चला उसी को बहुमूल्य खजाना मिला है। वह खजाना है अपना स्वभाव, क्योंकि हमारी पूरी जिंदगी हमारे स्वभाव का ही परिणाम होती है। उसी के कारण आकार लेती है इसीलिए अपने स्वभाव को अपने मूल स्वरूप को समझना चाहिए। उसकी ही खोज करनी चाहिए। तभी तो सभी गुणी ज्ञानियों ने कहा है कि जिसने अपने को जाना, पहचाना, उसी ने संसार को समझा। उसका साक्षात किया।
जो व्यक्ति बाहर ही बाहर देखता रहा उसका जीवन बाहरी आवरण ही ओड़ता रहता है और वह एक दिन अपना मूल स्वभाव ही खो देता है। इतनी परतें चढ़ जाती है उसके ऊपर, कि वह अपनी असली जिंदगी, जिंदगी का मकसद सब भूल जाता है। और बाहरी आवरण ओड़ने की वजह से दुख पाता है सुख तो स्वभाव से मिलता है दूसरों से नहीं।
लगता है हमें कि कोई हमारा अपना है उससे खुशी मिल रही है। दूसरा भी यही सोच रहा है कि ये अपना है इसलिए हम खुश हैं। असल में हम अपने स्वभाव के कारण खुशी और दुखी हो रहे होते हैं।
जैसे घर में ही देखो, एक व्यक्ति हर समय गुस्सा करता है, हर समय nagging करता रहता है। छोटी छोटी बातों पर मुंह बनाता है। वहीं दूसरी ओर उसी घर में दूसरा व्यक्ति है जो खुश रहता है। उसकी वजह से घर में रौनक है।
यही स्वभाव है। मन है जो हमें दुखी और सुखी कर रहा होता है। मन में संतोष है, दूसरे के लिए सम्मान है, शेयरिंग नेचर है तो हम बांटते हैं खुश रहते हैं और दूसरे को भी खुशी ही देते हैं।