विपश्यना ध्यान बेहद जरूरी! “Vipashyna Meditation” (Spiritual Thoughts)

विपश्यना ध्यान बेहद जरूरी! “Vipashyna Meditation” (Spiritual Thoughts)

विपश्यना ध्यान बेहद जरूरी!

“Vipashyna Meditation”

 

(Spiritual Thoughts)

 

विपश्यना ध्यान मनुष्य की जिंदगी की अनिवार्यता हो चुकी है। आज के इस बदलते वातावरण में मनुष्य का मन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और उसका ध्यान छिन्न भिन्न हो चुका है।

 

बच्चे से लेकर बूढ़े तक आज मन के वेग और चंचलता के कारण परेशान हैं। कारण जहां एक ओर बदलता हुआ समाज और मन की बाहर की ओर पदार्थों में सुख खोजने की प्रवृत्ति है वहीं दूसरी ओर मनुष्य का जरूरत से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल भी है।

 

मन का बिल्कुल भी खाली न रहना, हमेशा सोशल मीडिया में संलग्न रहना एक बहुत बड़ा कारण है कि आज मनुष्य की नींद भी कम हो चुकी है। इसका सबसे बड़ा प्रभाव उसके शारीरिक और मानसिक बीमारी का बढ़ता हुआ ग्राफ है।

 

हमें विपश्यना ध्यान के माध्यम से अपने बिखरे हुए मन और ध्यान को एकत्रित करना होगा जो कि विपश्यना ध्यान से ही आसानी से सम्भव है।

 

विपश्यना ध्यान में हम अपनी सांसों को ऑब्जर्व करते हैं जो कि आनापान स्मृति योग कहलाता है इसमें हम अपनी तरफ से सांस नहीं लेते और न ही छोड़ते हैं बल्कि कुदरत जन्य चल रही सांसों को मात्र देखते रहते हैं।

 

इसके बाद हम विपश्यना ध्यान करते हैं। विपश्यना ध्यान को हम चार भागों में करते हैं। कायानुपश्यना, वेदनानुपश्यना, चित्तानुपश्यना और धर्मानुपश्यना।

 

मन को बाहर की ओर दौड़ने से रोकने के लिए विपासना ध्यान एक साधारण और बेहद ही आसान विधि है। इस विपश्यना ध्यान का सबसे बड़ा लाभ है मन की शांति, एकाग्रता, और गहरी नींद का आना। हमें विपश्यना ध्यान को रोज रोज एक निश्चित वक्त निकालकर जरूर करना चाहिए।

 

 

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़