तुराज़ की शायरी -8
“Turaaz ki Shayari-8”
(Hindi Poetry)
सब सोचते हैं –
काश जिंदगी आसाँ होती…
मगर, अगर आसाँ होती
तो हम रोते हुए क्यों आते…
“””””””””””””
“गैर”
कोई लफ्ज़ न था
ये “अपनों” की
मेहरबानी होगी,
सबसे पहले
कोई “अपना” ही था
जो “गैर” बना
होगा
””””””””””””””
फिक्र मत कर
“गैरों” को समझने की,
ख़ुद को समझने से
“ख़ुदा” मिल जाता है!
“””””””””””””””
शहंशाह तो बहुत होते हैं,
पर कभी कोई
शहंशाह होकर भी खाली
होता है!
“””””””””””””””
ये उलझनें यूँ ही
नहीं बड़ती “जनाब”
दिल में ख्वाहिशें
जिंदा होनी चाहिए
तुराज़…….✍️