तुराज़ की शायरी -13
“Turaaz ki Shayari”-13
(Hindi Poetry)
उधार की बातों को
संजोता रहा
ज्ञान समझकर
अब तकदीर को
कोसता हूं
एक कौने में
बैठकर
राह का इल्म
लेना चाहा था कभी
नक्शों में देखकर
अब कदम भी उठाने
में “तुराज़”
झिझकता हूं
राह पर
“Turaaz ki Shayari”-13
(Hindi Poetry)
उधार की बातों को
संजोता रहा
ज्ञान समझकर
अब तकदीर को
कोसता हूं
एक कौने में
बैठकर
राह का इल्म
लेना चाहा था कभी
नक्शों में देखकर
अब कदम भी उठाने
में “तुराज़”
झिझकता हूं
राह पर