तुराज़ की शायरी -10
Turaaz ki Shayari-10
(Hindi Poetry)
कुछ बचा लेने की तमन्ना में
कुछ सपने मेरे राख हुए हैं।
कुछ पा लेने की जिद में
कुछ दीये, रौशन भी हुए हैं।
जब तम छा जाता है, गहरा मन में
तब जुगनू सा बन, “तथागत” ने
मुझको राह दिखाई है
“””””””””””””””””””””””
“अल्फाज़” ही तो हैं
जो सीने पर घर कर जाते हैं
किसी को अपना “साथी”
और किसी को “दुश्मन”
बना जाते हैं।
“”””””””””””””””””””””
याद आता रहे मेरा “रब” मुझे
बस टीस भरी परेशानी
यूं ही चुभती रहे…
“”””””””””””””””””””””
कोई “अनजान” गिरते हुए
तुम्हें उठा ले कभी
तो आंखों में “झांक लेना” उसके,
तुम्हें एक “फरिश्ता”
दिखाई देगा, पहली दफा
“””””””””””””””””””””””
एक गुलामी गई नहीं कि
अगली तैयार खड़ी है
मैं दिखता नहीं हूं कि
पिंजरे में हूं
पर मैं बेपर हूं।
“””””””””””””””””””””””
तुराज़……✍️