अल्फ़ाजों का शहर : “The City of words” (Hindi Poetry)

अल्फ़ाजों का शहर : “The City of words” (Hindi Poetry)

अल्फ़ाजों का शहर

The City of Words”

(Hindi Poetry)

 

यह “अल्फ़ाजों” का शहर है
यहां बातें बहुत होती है
सुबह के अलग और
शाम के अलग
अखबार छपते हैं और बंटते हैं
यह अल्फ़ाजों का शहर है….

यहां बात का बतंगड़ बनता है
जो बहुत बिकता है
तभी तो बहरा भी
कान लगाकर सुनता है और
गूंगा भी बहस में हिस्सा लेता है
यह अल्फ़ाजों का शहर है…….

यह अल्फ़ाजों शहर है “जनाब”
यहां बड़े बड़े सपने देखे जाते हैं
चाय और सिगरेट हो
राजनीति और धर्म की चर्चा हो
तो पूरा दिन निकल जाता है
यह अल्फ़ाजों का शहर है…….

यहां अपने फायदे के लिए
झूठ पर झूठ बोला जाता है
दूसरे की जेब खाली करने का
षड्यंत्र रचा जाता है
इसको इंटेलेक्ट कहा जाता है
यह अल्फ़ाजों का शहर है……

यहां आदमी की औकात को
उसके जूते से देखा जाता है
ब्रैंड के कपड़ों और
गाड़ियों से तोला जाता है।
इंसानियत की कद्र इतनी नहीं
बस अपना-अपना ख्याल
रखा जाता है।

यह अल्फ़ाजों का शहर है
यहां मीठी-मीठी बातें करके
अपना काम निकाला जाता है
फिर दुआ-सलाम भी नहीं रहती
यहां कोई किसी को नहीं जानता
बस काम से पहचान होती है
और काम के बाद खत्म हो जाती है
क्योंकि ये अल्फ़ाजों का शहर है……

                 “तुराज़”……✍️

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़