मतलबी इंसान : Selfish Human Being (Hindi Poetry) “Shayari”

मतलबी इंसान : Selfish Human Being (Hindi Poetry) “Shayari”

कौन रोक पाया है
कशिश प्यार की
जैसे दरिया बहे चला जाता है
समन्दर की तरफ,
परवाह भी किसे है रास्ता ढूँढने की
चलता है तो
खुद बखुद रास्ता बनता चला जाता है…

“Shayari”

(Hindi Poetry)

कौन फिज़ाओं में महकता है बेवजह

शायद इसीलिए गुल खूबसूरत होते हैं

क्यों दुनियाँ से बेखबर रहता है पंछी

दूर डाल में

शायद मतलबी दुनियाँ के,

दिखावटी रंगों को

बखूबी समझता है।

गाता और नाचता भी है

तो आनंद में अपने

उसे दुनियाँ की तारीफ से क्या….

आदमी का क्या है “तुराज़”

ये तो खूबसूरती को

पिजड़े में कैद कर लेता है

फिर प्यार की आड़ में

हुकूमत का मज़ा लेता है।

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"प्रेम" मुक्त-आकाश में उड़ती सुगंध की तरह होता है उसे किसी चार-दिवारी में कैद नहीं किया जा सकता। ~ तुराज़