“खोज अपने की (Self Discovery)”
(Hindi Poetry)
हम सब
खोज ही तो रहे हैं
मैं आपको
आप मुझे खोज रहे हैं
खोज ही तो रहे हैं
मैं आपको
आप मुझे खोज रहे हैं
मां – बाप बच्चों को
बच्चे, खेल-खिलोने
यार – दोस्तों को
भाई, बहिन को
बहिन, भाई को
पति, पत्नी को
पत्नी, पति को
प्रेमी, प्रीतम को
बेरोजगार, नोकरी को
प्यासा, पानी को
भूखा, खाने को
बीमार, दवा को
चोर, चोरी को
सब खोज ही तो रहे हैं
कभी FB, कभी W/AP
कभी गूगल, कभी यू ट्यूब
कभी ये, कभी वो
हम क्या-क्या, खोज रहे हैं
इस फूल से उस फूल
भौरे की तरह
मधु चूस तो रहे हैं, पर
फिर भी खोज ही रहे हैं
हम रुकते ही नहीं !
हम पता नहीं
क्या खोज रहे हैं ?
कहीं ऐसा तो नहीं,
अपनी ही जेब
टटोल न पाया हो ” तूराज़ ”
~ तूराज़